थाने में शिकायत करने पहुंचे परिवार ने हनुमान जी के सामने कर लिया राजीनामा

दमोह। कहावत है कि कोर्ट कचहरी और पुलिस थानों से लोगों को दूर रहना चाहिए, लेकिन फिर भी लोग आपसी विवाद में नसीहतों को नजरअंदाज कर विवाद तो करते ही है और विवाद के बाद थाने और फिर कोर्ट के चक्कर काटने लगते है। हालांकि न्यायालय पर बढ़ते दबाव और कोर्ट केसों की संख्या को देखते हुए आपसी सुलह के लिए न्यायालय द्वारा लोक अदालत आयोजित की जाती है लेकिन अब पुलिस भी लोगों को ऐसी मुसीबतों से दूर रखने के लिए अपनी जिम्मेदारी निभाने लगी है।
ऐसा ही मामला दमोह के देहात थाना अंतर्गत जबलपुर नाका चौकी में देखने को मिला जहां एक परिवार ने आपसी विवाद में श्री हनुमान जी को न्यायधीश मानकर विवाद चंद मिनट में ही निपटा लिया। इस मामले में महत्वपूर्ण भूमिका रही जबलपुर नाका चौकी प्रभारी आनंद अहिरवार की जिन्होंने परिवार को थाने के रजिस्टर में दर्ज करने से ज्यादा सुलह को प्राथमिकता दी।
यह है मामला
दरअसल दमोह देहात थाने की जबलपुर नाका चौकी अंतर्गत भूरी ग्राम निवासी भुसावल में एक सीमेंट फैक्ट्री के कर्मचारी साहू परिवार के खुमान पिता रामप्रसाद साहू 70 वर्ष के यहां संतान नहीं थी अपने छोटे भाई गणेश उर्फ भूरे 60 वर्ष के छोटे पुत्र विमलेश साहू को गोद ले लिया। 2017 को साथ रखना शुरू किया और वर्ष 2022 में गोदनामा भी लिख दिया और दोनों पिता पुत्र की तरह रहने लगे।
विवाह के बाद शुरू हुआ विवाद
विलमेश की उम्र के चलते वर्ष 2024 में उसकी शादी भी हो गई लेकिन विवाह के बाद दत्तक पुत्र और दत्तक पिता बीच अनबन होने लगी। इसी अनबन में विवाद इतना बड़ा कि लड़का अलग होकर अपनी पत्नी के साथ अपने जैविक पिता के पास वापस भी आ गया।
लेनदेन के चलते पहुंचे थाने
दत्तक पिता पुत्र के अलग होने के बाद अब उनके बीच विवाद बना पूर्व में हुए लेनदेन का। जहां एक ओर पिता विवाह के दौरान दिए गए जेवरों सहित,नाम किए गए मकान, दिलाई गई बाइक को वापस मांग रहा था तो दत्तक पुत्र भी बाइक में अपने लगाए पैसों पर दावा कर रहा था। विवाद जब बढ़ने लगा तो दोनों पक्ष एक दूसरे पर एफआईआर करने के लिए जबलपुर नाका पुलिस चौकी पहुंचे और अपनी अपनी बात पुलिस के सामने रखने लगे।

समझाइस से खुला सुलह का रास्ता
दोनों पक्षों के आरोपी को सुनकर जबलपुर नाका चौकी प्रभारी आनंद अग्रवाल ने उन्हें समझाइस देना शुरू किया पारिवारिक विवाद को कोर्ट कचहरी तक ना ले जाने का भी आग्रह किया उनकी बातों को सुनकर दोनों पक्ष सहमत हो गए और फिर विवाद को वहीं समाप्त करने के लिए चौकी परिसर में स्थित श्री हनुमान मंदिर में विराजमान बजरंगबली को न्यायाधीश और साक्षी मानकर उन्होंने एक दूसरे का लेनदेन निपटा दिया और मामला सुलह के साथ पटाक्षेप हुआ।

आमतौर पर लोग छोटी-छोटी बातों पर बड़ा विवाद बनाकर एक दूसरे पर मामला दर्ज कर देते हैं और फिर कोर्ट कचहरी के चक्कर काटते हैं। ऐसे में मेरा प्रयास था कि इनमें आपसी सुलह हो जाए। समझाइस के बाद दोनों पक्ष मान गए और श्री हनुमान को साक्षी मानकर एक दूसरे का सामान उन्होंने लौटा दिया
आनंद कुमार
जबलपुर नाका चौकी प्रभारी