महिला और मासूमों को आत्महत्या को उकसाने वाले पति और ससुर को कठोर कारावास की सजा

प्रताड़ना और दहेज की मांग से तंग आकर महिला ने दो बच्चियों के साथ की थी आत्महत्या

दमोह। अपर सत्र न्यायाधीश संतोष कुमार गुप्ता ने बुधवार को एक मामले में फैसला सुनते हुए कोतवाली थाना क्षेत्र की एक घटना में एक महिला और उसकी दो मासूम बेटियों की आत्महत्या मामले में दोषी महिला के पति और ससुर को 5 साल का कठोर कारावास और 1-1 हजार रुपये का अर्थदंड लगाया। मामला 2 नवंबर 2022 का है जिसमें मृतिका लता रजक ने अपनी दो बेटियों इशिका (5) और रिया (2) के साथ फांसी लगाकर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली थी।

मामले के सम्बन्ध में अभियोजन पक्ष की पैरवी कर रहे अधिवक्ता राजीव बद्री सिंह ठाकुर ने बताया कि मृतिका लता का विवाह आरोपी हाकम उर्फ चीनू पुत्र दामोदर रजक से हुआ था। शादी के बाद से ही लता को दहेज की मांग के लिए लगातार प्रताड़ित किया जा रहा था। दो बेटियों के जन्म के बाद यह प्रताड़ना और भी बढ़ गई। आरोपी हाकम लता पर बेटियों को लेकर तरह-तरह के लांछन लगाता था और उसके साथ मारपीट करता था। इसी प्रताड़ना से तंग आकर लता कुछ समय पहले अपनी बेटियों के साथ मायके भी चली गई थी। इसके बाद 30 अक्टूबर 2022 को उसके ससुर दामोदर रजक उसे वापस लेने आए और वादा किया कि अब उसे कोई परेशान नहीं करेगा। इस आश्वासन पर विश्वास करके लता के माता-पिता ने उसे वापस ससुराल भेज दिया। हालांकि, घर पहुंचते ही आरोपीगण ने फिर से लता को परेशान करना शुरू कर दिया, जिससे वह टूट गई और आखिरकार उसने अपनी दो बेटियों के साथ फांसी लगा ली। घटना के बाद पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज कर उन्हें अदालत में पेश किया।

मिर्गी की बीमारी को नहीं माना न्यायालय ने

मामले की सुनवाई को दौरान अभियोजन पक्ष ने अपने दावे को सिद्ध करने के लिए 14 गवाह पेश किए। वहीं बचाव पक्ष ने दो गवाहों के साथ यह तर्क दिया कि लता मिर्गी की मरीज थी और इसी वजह से उसने आत्महत्या की, लेकिन न्यायाधीश ने इस तर्क को खारिज कर दिया। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि

“मिर्गी के दौरे में व्यक्ति बेहोश हो जाता है, ऐसे में वह खुद और अपनी बेटियों को फांसी नहीं लगा सकती”

अदालत ने यह भी टिप्पणी की

कि अगर आरोपियों के लता से मधुर संबंध होते, तो वह बीमारी के बावजूद आत्महत्या क्यों करती

न्यायालय ने अभियोजन पक्ष द्वारा प्रस्तुत साक्ष्यों को विश्वसनीय माना और आरोपियों को आत्महत्या के लिए उकसाने का दोषी पाते हुए कठोर दंड सुनाया।

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