आधारशिला संस्थान और जांच टीम के बीच जारी आरोप-प्रत्यारोप का दौर

यहां…मसीही समाज ने बाइबिल के अपमान के आरोपों को लेकर दर्ज कराई शिकायत

वहां.. ज्ञापन रैली को एनसीपीआर ने संज्ञान में लेकर दिए मामला दर्ज करने के निर्देश

दमोह। संस्था के वार्डन द्वारा नावालिग के शोषण के आरोपों को लेकर चर्चा में आई मिशनरी संस्था आधारशिला संस्थान पर रविवार को राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की टीम ने जांच उपरांत कई गंभीर आरोप लगाए थे और इसमें धर्मांतरण समेत बगैर अनुमति छात्रावास संचालित किया जाना भी शामिल था। वहीं जांच व जांच उपरांत उठे आरोपों के बाद संस्था ने भी अपना मोर्चा खोल लिया है। मामले में जांच टीम में शामिल सदस्यों पर सोमवार को कई आरोपों को लेकर कलेक्टर व एसपी को सौंपे गए ज्ञापन के बाद मंगलवार को मसीही समाज के द्वारा जबलपुर नाका चौकी में भी एक शिकायत सौंपते हुए जांच टीम के सदस्यों पर उनके पवित्र ग्रंथ बाइबिल के अपमान के आरोप लगा दिए। वहीं संस्थान द्वारा की दिए जा रहे ज्ञापन व शिकायतों के बीच राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने कर्मचारियों की रैली पर संज्ञान लेते हुए किशोर न्याय अधिनियम व आईपीसी की धाराओं का उंल्लघन मानते हुए मामला दर्ज किए जाने के निर्देश दिए है।

एक ही सदस्य संस्थान के निशाने पर

संस्था की जांच में राज्य बाल आयोग की टीम समेत बाल कल्याण समिति दमोह सहित अन्य विभाग के सदस्य शामिल थे, लेकिन सोमवार के ज्ञापन में राज्य बाल आयोग की टीम को अलग करते हुए बाल कल्याण समिति सदस्य दीपक तिवारी पर ही मुख्य रूप से आरोप लगाए गए थे। वहीं मंगलावार की शिकायत में भी इसी सदस्य को निशाना बनाया गया है। मसीही समाज के ज्ञापन में जो आरोप लगाए गए है उसके अनुसार जांच अधिकारियों ने जांच के दौरान उनकी धर्म पुस्तक बाइबिल को अपमान जनक तरीके से पकडक़र, हवा में लहलहाते हुए डिक्की और गंदी टेबिल पर रखा है, उससे समाज की धार्मिक भावनाएं आहत हुई है। शिकायत में यह भी कहा गया है कि रविवार के दिन ईसाई बच्चों के पास जो बाइबिल मिली है उसे प्रत्येक ईसाई रविवार को पढ़ता है। वहीं इन आरोपों की जद में बाल कल्याण समिति के सदस्य दीपक तिवारी को आरोपी बनाते हुए कार्यवाही की मांग की गई है और ऐसा ना होने पर इस मुद्दे को राष्ट्रीय स्तर पर उठाए जाने की बात कहते हुए सदस्य पर एफआईआर की मांग भी की गई।

लेकिन फिर भी हो गए मामला दर्ज करने के निर्देश

जहां एक ओर संस्थान द्वारा नए नए आरोपों को लेकर ज्ञापन और शिकायतें सौंपी जा रही है और कार्यवाही की मांग की जा रही है। वहीं सोमवार के ज्ञापन को लेकर संस्था फिर विवादों में आ गया है और इस ज्ञापन के दौरान निकाली गई रैली पर राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने संज्ञान में लेते हुए पुलिस अधीक्षक को पत्र लिखा है। इस पत्र में उल्लेखित किया गया है कि सोमवार की रैली में संस्थान द्वारा वगैर अनुमति के एक रैली निकाली गई जिसमें नावालिग और दिव्यांग बच्चों का उपयोग करते हुए उन्हें कलेक्ट्रेट सहित अन्य स्थानों पर गर्मी व धूप में घुमाया गया है। यह कार्य किशोर न्याय अधिनियम व आईपीसी की धाराओं का उल्लंघन है जिसे संज्ञान में लेकर आयोग ने दोषियों पर एफआईआर दर्ज कर तीन दिन में रिपोर्ट देने के लिए कहा है।

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