अब टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या हुई 19, प्रबंधन ने की पुष्टी

दमोह/ तेंदूखेड़ा। बाघों की उपस्थिति सहित भेडिय़ो के प्राकृतिक आवास और पक्षियों के अनुकूल होने के चलते विश्व पटल पर अपनी पहचान बना रहे व टाइगर रिजर्व का दर्जा मिलते ही नौरादेही अभ्यारण से एक और सकारात्मक खबर आई है। रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व में बाघों के 4 नए शावकों की पुष्टी वन अमले ने की है और इसके साथ ही अब बाघों की संख्या 19 हो गई है। बताया जा रहा है कि चारों शावकों को एक ही बाधिन एन 112 ने जन्म दिया है जो यहां सबसे पहले लाइ गई बाधिन राधा के द्वारा जन्मी थी। हालांकि नौरादेही अभ्यारण्य प्रबंधन सुरक्षा की दृष्टि से इनकी लोकेशन सहित फोटो आदि जारी करने से बच रहे है लेकिन चारों शावक स्वस्थ हैं और अपनी मां के साथ सुरक्षित अभ्यारण्य क्षेत्र में जंगल है। इन नन्हें शावकों की उम्र लगभग 15 से 20 दिन की बताई जा रही है

दूसरी बार मां बनी बाघिन
एन 112अभ्यारण में बाघ की तीसरी पीढ़ी ने जन्म लिया है। 18 अप्रैल 2018 में कान्हा से लाई गई बाघिन राधा और बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व से लाए बाघ किशन से जन्मी दो बाघिनों से बाघिन एन 112 ने दूसरी बार चार शावकों को जन्म दिया है। शुक्रवार को चारों शावकों को घने जंगल में एक गुफा में अपनी माँ के साथ देखा गया है जिसने पहले 30 अप्रैल 2022 में दो शावकों को जन्म दिया था। वहीं बाघिन राधा से ही जन्मी एक अन्य बाघिन एन111 ने भी 7 मई 2023 चार शावकों को जन्म दिया था। अधिकारियों ने बताया कि कुछ माह से बाघिन एन 112 अपने पुराने स्थान से हटकर घने जंगल में विचरण करती नजर आ रही थी जिसे देख वन विभाग ने बाघिन की सुरक्षा के लिए टीम गठित की और लगातार नजर रखवाई गई।

सफल हो रहा प्रोजेक्ट
टाईगर रिजर्व में शामिल हुए नौरादेही अभ्यारण में बाघों को बचाने का प्रोजेक्ट सफल होता दिख रहा है। अभयारण्य में पहाड़, गुफा, नदी, पोखर, घास के मैदान, पेड़, वनस्पति और शाकाहारी वन्य जीवों की उपलब्धता के कारण यहां सभी जानवरों के लिए अनूकल परिस्थितियां है। बाघ शिफ्टिंग के बाद यहा 6 वर्ष में 2 से 19 बाघ हो गए है और इस दौरान एक बाघ की आपसी संघर्ष में मौत हो चुकी है। स्थितियों को देखते हुए वन विभाग ने शावकों के जन्म स्थान के आधा किमी के दायरे में मानव की आवाजाही पूरी तरह से बंद कर दी गई है और स्टाफ को भी बाघ परिवार के आसपास जाने के लिए मना किया गया है उनकी देखरेख फ्लैश विहीन ट्रैकर कैमरों से की जा रही है ताकि बाघ परिवार को किसी तरह की समस्या ना हो इसके अलावा शिकारियों की टोलियों पर भी नजर रखी जा रही है वन अमले के साथ मुखबिरों को हाई अलर्ट पर रखकर, सुरक्षा कर्मियों का घेरा भी बनाया गया है।

इस तरह होती है बाघों की कोडिंग
टाईगर रिजर्व में बाघों की पहचान के लिए वन अमला द्वारा दिए जाने बाले नाम के पीछे भी विशेष प्रक्रिया को ध्यान में रखा जाता है। इस अभ्यारण में बाधिन सबसे पहले लाई गई थी इसलिए उसे नौरादेही के एन पर एन१ कहा गया। इसके बाद बाघ एन 2 आया। आगे बाधिन से पहली बार जन्में तीन शावक एन 111, एन 112 व एन 113 कहलाए। इस दौरान शवकों में पहले मादा को रखा जाता है। इसके बाद नवंबर में राधा ने दूसरी बार जिन दो शावकों को जन्म दिया है उनमें एक एन.121 यानी उसी बाघिन से दूसरी बार जन्म लेने वाला पहला और एन122 दूसरी बार शावक हुआ। वहीं अब एन 112 से जन्में दोनों शावक और एन 111 से जन्में चार शावक के नामकरण की कोडिंग चल रही है।
बाघिन ने चार शावकों को जन्म दिया है और टीम शावकों की निगरानी कर रही है। जल्द ही शावकों की तस्वीर भी साझा करेंगे और टीम द्वारा कैमरों और हाथियों की मदद से निगरानी की जा रही है।
एए अंसारी, डीएफओ
रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व