एजेंसी की जिम्मेदारी तय नहीं और अमला बरत रहा लापरवाही

दमोह। जिले में वॉयो मेडिकल वेस्ट को लेकर संंबंधित अमला लापरवाह नजर आ रहा है। इसके चलते हालात यह है कि जिला अस्पताल से निकलने बाला वॉयो मेडिकल वेस्ट खुले मे और नपा के डस्टबिन में नजर आता है और जिम्मेमदार इससेे अनजान बने नजर आते है। जिला अस्पताल के हालातों को जब देखा गया तो वहां मेडिकल वेस्ट नपा के डस्टविन में पड़ा हुआ था और यह तय था कि नपा के वाहन के साथ यह उसी ट्रंचिग ग्राउंड तक पहुंच जाना था जहां नगरीय क्षेत्र का अन्य कचरा फेका जाता है।
निष्पादन पर ध्यान नहीं
एक ओर मेडिकल वेस्ट के लिए शासन की गाइड लाइन तय है और उसी के चलते जिला अस्पताल से निकलने बाले मेडिकल वेस्ट के निस्पादन के लिए इंडो एजेंसी को जिम्मेदारी भी दी गई है। लेकिन इसके बाद भी नियमों को दरकिनार किया जा रहा है। अस्पताल का अमला दोपहर बाद संबंधित एजेंसी के वाहन आने और मेडिकल वेस्ट को ले जाए जाने की बात कहता है, लेकिन उसके पहले ही यह नपा के डस्पटविन में पहुंच जाता है। ऐसे में एजेंसी का कार्य किस तरह से होता है यह एक प्रश्न है। वहीं नियमों के अनुसार मेडिकल वेस्ट को इंसिनेटर इत्यादि में नष्ट होना चाहिए और उसके निष्पादन के पूर्व इन्हे लग अलग रंग के पॉलिथीन में पैक कर निर्धारित रंग के कंटेनर में भरा जाता है, लेकिन जिला अस्पताल में यह प्रक्रिया नजर नहीं आती ।

दिखावा कर रही कंपनी
वहीं हालातों को देखकर संबंधित कंपनी का फर्जीबाड़ा भी सामने आ रहा है। जहां एक ओर मौजूद स्टॉफ प्रतिदिन वेस्ट उठाए जाने की बात कहती नजर आ रही है, वहीं सूत्र बताते है कि संबंधित कंपनी दो दिन में एक बार वॉयो मेडिकल वेस्ट उठा रही है। दरअसल इंसीनेटर प्लॉँट 80 किमी के अंदर होना चाहिए लेकिन वर्तमान में नजदीकी इंसीनेटर प्लाँट करीब 230 किमी है जिसके चलते प्रतिदिन मेडिकल बेस्ट का उठाव और उसे ले जाने से कंपनी बच रही है और दूसरी चूक साधारण वाहन ही उपयोग में लाए जाने की सामने आ रही है। चूकि जिला अस्पताल जिले का सबसे बड़ा अस्पताल है और मेडिकल वेस्ट की मात्रा ज्यादा है तो इसके ढेर से बचने के लिए सफाई के दौरान इसे नपा के डस्टबिन में ही फेक दिया जाता है।
अनुबंध समाप्ति पर चर्चा
वहीं जानकारी यह भी सामने आ रही है कि उक्त हालातों पर संज्ञान लेते हुए पीसीबी उक्त कंपनी का अनुबंध समाप्त करने के निर्देश दे चुकी है, जिस पर कार्यवाही कर रही है और संबंधित कंपनी अपने स्तर पर अपना बचाव भी कर रही है। लेकिन इसके चलते जो हालात बन रहे है, वह निश्चित ही खतरनाक है और ऐसे में यहां से निकलने बाले जहरीले मेडिकल वेस्ट से संक्रमण होने की संभावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता।
मामले को लेकर जारी हुई थी गाइडलाईन
ऐसा नहीं है कि यह हालात महज जिला अस्पताल में ही सामने आ रहे है। जिले के अन्य शासकीय व निजी अस्पतालों में भी यही हालात दिखाई देते है और कोई भी वॉयो मेडिकल वेस्ट के उचित निष्पादन के लिए गंभीर नहीं है। इन हालातों को सामने आता देख एक दिन पूर्व ही सीएमएचओ डॉ सरोजनी जेम्स बेक ने एडवायजरी भी जारी की थी और नियम निर्देशों का हवाला देते हुए पालन ना होने पर कार्यवही की भी बात कही थी। लेकिन हालातों को देखकर यह माना जा रहा है कि नियम महज दिखावे के लिए ही है।
मैं अभी बाहर हूँ। लौटकर इस मामले को देखता हूँ
डॉ राजेश नामदेव
सिविल सर्जन दमोह
निष्पादन के लिए निजी एजेंसी से टाइअप है जो यह वेस्ट को उठाती है तो, यदि इसके बाद भी ऐसा हो रहा है तो यह गलत है।
डॉ एपी जैन
प्रभारी सिविल सर्जन
जिला अस्पताल दमोह