पुलिस ने मौके पर पहुंचकर किया मामला शांत, प्रबंधन ने आरोपों को नकारा

दमोह। जिला अस्पताल में प्रसव के दौरान एक नवजात की मौत हो जाने के बाद वहां हंगामे के हालात निर्मित हो गए। दरअसल परिजनों के आरोप है कि प्रसूता को उचित इलाज और देखभाल जिला अस्पताल में नहीं मिली और लापरवाही के चलते नवजात की मौत हो गई, ऐसे में गुस्साए परिजनों ने हंगामा शुरु कर दिया, हालाकि मामले की सूचना पुलिस को मिलने पर कोतवाली थाना पुलिस मौके पर पहुंची और परिजनों को समझाइस देकर मामला शांत कराया। वहीं दूसरी ओर अस्पताल प्रबंधन ने आरोपों का पूर्णत: खंडन किया है।
यह है मामला
जानकारी अनुसार जिले के हरदुआ हाथीघाट निवासी महिला सुशीला को तीन दिन पूर्व प्रसव के लिए जिला अस्पताल लाया गया था। चूकि महिला की डिलेवरी में अभी समय था और बच्चे की प्रीमैच्योर होने की स्थिति थी, इसके चलते डॉक्टरों द्वारा सामान्य प्रसव के लिए इंतजार किया गया। तीन दिन से भर्ती महिला को वुधवार रात प्रसव पीड़ा शुरु हुई जिसके बाद डॉक्टरों ने उसका सामान्य प्रसव कराया, लेकिन इस दौरान बच्चे की हालत बिगड़ गई और उसकी मौत हो गई।गुस्साए परिजनों ने लगाए आरोपवहीं बच्चे की मौत के बाद गुस्साए परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन पर आरोप लगाने शुरु कर दिए और उनका कहना था कि अस्पताल में भर्ती रहने के दौरान ना तो प्रसूता को समय पर देखने डॉक्टर आया और ना ही उसे उचित इलाज दिया गया। वहीं उनका आरोप यह भी था कि जिला अस्पताल में इलाज के दौरान उन्हें ज्यादातर दवाईयां बाहर से लेनी पड़ी और इलाज में कोताही के चलते यह हालात बने। ऐसे में परिजनों के हंगामे को देखते हुए वहां पुलिस पहुंची और उनके द्वारा परिजनों को समझाइस दी गई जिसके बाद मामला शांत हुआ।
गर्भनाल फसने से हुई मौत
दूसरी ओर जो जानकारी सामने आ रही है उसके अनुसार बच्चें की मौत उसके गले में गर्भनाल फसने से हुई है। मामले में जिला अस्पताल प्रंबंधन का कहना है कि बच्चा प्रीमैच्योर था और डिलेवरी समय में भी समय बाकी था। इसलिए स्थितियों को ध्यान में रखते हुए वह सामान्य प्रसव का इंतजार कर रहे थे। वहीं इस दौरान नवजात के गले में गर्भनाल फस गई और एकाएक उसकी हालात बिगड़ गई जिससे उसकी मौत हो गई। उनका कहना था कि जिला अस्पताल में प्रतिदिन कई प्रसव कराए जाते है और सभी मामले में प्रसूता और नवजात का पूरा ध्यान रखा जाता है और इस मामले में भी कोई लापरवाही नहीं बरती गई।
इनका कहना है।
इलाज में कोई भी लापरवाही नहीं बरती गई है और नवजात प्री मैच्योर भी था। लगाए जा रहे आरोप सही नहीं है।
डॉ राजेश नामदेव
सिविल सर्जन दमोह