परिसर में विराजे राम लला बने आमजन की आस्था और आकर्षण का केंद्र
दमोह। स्वदेशी जागरण मंच और स्वर्णिम भारत फाउंडेशन द्वारा आयोजित 11 दिवसीय स्वदेशी मेले का दमोह के तहसील मैदान में भव्य शुभारंभ हुआ। इस मेले का आयोजन भारतीय संस्कृति और स्वदेशी उत्पादों के प्रति जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से किया गया है। मेले का उद्घाटन प्रदेश के पशुपालन एवं डेयरी विभाग के राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री लखन पटेल, विशिष्ट अतिथि राष्ट्रीय सह-समन्वयक स्वावलंबी भारत अभियान श्री जितेन्द्र गुप्ता, विधायक जयंत कुमार मलैया, और अध्यक्ष राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग डॉ. रामकृष्ण कुसमरिया के साथ स्वदेशी जागरण मंच के राष्ट्रीय सह-समन्वयक सतीश कुमार की उपस्थिति में किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती और भारत माता के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलन और माल्यार्पण से हुआ।
राज्यमंत्री श्री लखन पटेल ने अपने संबोधन में बताया कि स्वदेशी जागरण मंच द्वारा पहली बार 1998 में अटल बिहारी वाजपेयी जी के नेतृत्व में इस मेले का आयोजन हुआ था। दमोह में पहली बार इस मेले का आयोजन किया जा रहा है, और इसमें स्थानीय निवासियों की भागीदारी और उत्साह सराहनीय है। श्री पटेल ने कहा कि 24 नवंबर तक इस मेले में विभिन्न सांस्कृतिक और स्वदेशी गतिविधियों के जरिए लोगों को भारतीय परंपरा से जोड़ने का प्रयास किया जाएगा। उन्होंने सभी स्वदेशी मंच के आयोजकों को इसके सफल आयोजन के लिए धन्यवाद दिया और छोटे-छोटे शहरों में इस तरह के आयोजन को आगे भी प्रोत्साहन देने का आग्रह किया।
कलास्तंभ के कलाकारों का अद्भुत योगदान
इस मेले में इंदौर से पधारे कला समूह “कलास्तंभ” के कलाकारों ने भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। “मेक इन इंडिया” का संदेश देते हुए कलास्तंभ के कलाकारों प्राची शर्मा, पवन निषाद, और तुषार धरम ने एक भव्य रंगोली का निर्माण किया, जो मेले में आकर्षण का केंद्र बनी। उनकी कलाकृति को राष्ट्रीय कार्यकारिणी द्वारा विशेष सराहना मिली।
रागिनी मक्कड़ की कृष्ण लीला ने दर्शकों को किया मंत्रमुग्ध
मेले के पहले दिन सांस्कृतिक प्रस्तुतियों में इंदौर की प्रसिद्ध कथक नृत्य गुरु डॉ. रागिनी मक्कड़ और उनके शिष्यों ने कृष्ण लीला पर आधारित कथक नृत्य प्रस्तुत किया। उनके नृत्य ने राधा-कृष्ण की रासलीला और मीराबाई की भक्ति के भावों को सजीव कर दिया, जिससे सभी दर्शक मंत्रमुग्ध होकर तालियों से पूरा माहौल गुंजायमान हो गया। उनकी इस प्रस्तुति ने मेले में आध्यात्मिक और सांस्कृतिक रंग भर दिए।
मेला परिसर में अयोध्या के राम लला की प्रतिकृति
स्वदेशी अवधारणा से जुड़े इस मेले में अयोध्या के राम लला की भव्य प्रतिकृति और एक स्वदेशी ग्राम की परिकल्पना भी लोगों के आकर्षण का केंद्र रही। आयोजन समिति ने स्वदेशी ग्राम के माध्यम से भारतीय ग्रामीण जीवन और संस्कृति को दर्शाने का प्रयास किया है, जिसे मेले में आए आमजन द्वारा खूब सराहा जा रहा है। इसके साथ ही रामलला के प्रतिरूप का पूजन और आरती भी की गई, जिससे परिसर में धार्मिक आस्था की अद्वितीय झलक देखने को मिली।
स्वदेशी उत्पादों और मनोरंजन के स्टॉल भी आकर्षण का केंद्र
मेले में स्वदेशी उत्पादों, खानपान, और मनोरंजन से जुड़े स्टॉल भी लगाए गए हैं, जो दर्शकों को भारतीय संस्कृति से जोड़ते हुए मनोरंजन और ज्ञान का अनूठा मिश्रण प्रस्तुत कर रहे हैं। इसके अतिरिक्त रंगोली सजाओ और बांस टोकरी सजाओ जैसी प्रतियोगिताएं भी आयोजित की जा रही हैं, जो स्थानीय लोगों और कलाकारों को अपनी प्रतिभा दिखाने का अवसर दे रही हैं।
स्वदेशी मेले का उद्देश्य
स्वदेशी जागरण मंच और स्वदेशी भारत फाउंडेशन के राष्ट्रीय पदाधिकारियों ने मेला आयोजन समिति के कार्यकर्ताओं को यह संदेश दिया कि मेले का उद्देश्य भारतवासियों को स्वदेशी उत्पादों के प्रति जागरूक करना, स्वदेशी बाजार को बढ़ावा देना, और ग्रामीण उद्योगों को प्रोत्साहित करना है। राष्ट्रीय सह-समन्वयक सतीश कुमार ने कहा कि मेले के माध्यम से स्थानीय लोगों को अधिक से अधिक रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे और मेले के बाद भी इस उद्देश्य को बढ़ावा देने के प्रयास किए जाएंगे।