खुदाई में मिले हजार वर्ष पुराने कल्चुरी काल के 7 शिव मंदिर

जानकारों के अनुसार 70 फीट ऊंचे रहे होंगे मंदिर

दमोह। राज्य पुरातत्व विभाग ने जिले में कलचुरी काल में बने सात मंदिरों का समूह खोजा है, यह ऐतिहासिक मंदिर मिट्टी के टीले के नीचे दबे थे। तेन्दूखेड़ा ब्लॉक की ग्राम पंचायत पाठादो के दोनी गांव में मिले मंदिरों का यह समूह नौवीं सदी के आसपास का होना सामने आ रहा है। दोनी में मिले मंदिर कलचुरीकालीन हैं। और ऐसा माना जा रहा है कि यह युवराज देव के शासनकाल के रहे होंगे और यह उस दौर के पहले चरण के मंदिर हैं। ऐसे में खजुराहो के मंदिर भी इसके समकालीन रहे हैं, जो चंदेल राजाओं ने बनवाए थे और पुरातत्व आयुक्त उर्मिला शुक्ला के मुताबिक दोनी गांव में करीब तीन महीने से खुदाई चल रही है। मंदिर के चबूतरे की ऊंचाई ही ढाई मीटर है ऐसे में मंदिर की ऊंचाई 70 फीट तक होने का अनुमान है। हालांकि स्पष्ट जानकारियों के लिए अभी यहां और काम होगा

उल्लेखनीय है कि तेंदूखेड़ा पर्यटन और प्राचीन धरोहर के लिए प्रदेश भर में जाना जाता है यहां आज भी राजा महाराजाओं के किले और मठ बने हुए हैं, लेकिन अनदेखी के कारण वे खंडहर का स्वरूप लेते जा रहे हैं। हालांकि, पुरातत्व विभाग तेंदूखेड़ा में ऐसी प्राचीन धरोहरों की खोज के लिए खुदाई कर रहा है।

80 प्रतिशत अवशेष मिले तो नए सिरे से निर्माण

पुरातत्व विशेषज्ञ डॉ. रमेश यादव बताते हैं कि अगर किसी साइट से मंदिर के 80 तक तक पत्थर या संबंधित अवशेष मिलते हैं तो उन्हें जोड़कर नए सिरे से बनाया जा सकता है। क्षेत्र में मिली प्रतिमाएं दुर्गावती संग्रहालय जबलपुर और दमयंती संग्रहालय दमोह में भी रखी गई हैं। इस क्षेत्र में अन्य मंदिर समूह होने की संभावना भी है। डॉ. यादव कहते हैं यह ऐसे मंदिर हैं, जिनका काम कई पीढ़ियों तक चला होगा हर पत्थर के नीचे नागदेवता का बासदोनी गांव में कलचुरी शासक के समय के मंदिर और उनके बाजू में प्राचीन बावड़ी बनी है। जिसका जीर्णोधार पंचायत स्तर पर कराया गया है बावड़ी खुदाई के दौरान हर पत्थर के नीचे नागदेवता का वास मिला था और बाद में पूजा कर नागदेवता से जाने के लिए प्रार्थना की तो उन्होंने अपना स्थान बदला, और फिर निर्माण कार्य शुरू किया गया वहीं गांव के लोग बताते हैं इस क्षेत्र में हजारों सांपों का बसेरा है जो इन मंदिरों की निगरानी करते हैं।

क्षेत्र में कई जगह बिखरी पड़ी है प्राचीन धरोहरे

ब्लॉक के अंतर्गत आने वाली 62 ग्राम पंचायत में से कुछ ग्राम पंचायतो में पुरातत्व विभाग की प्राचीन धरोहरे हैं जो कई जगह बिखरी है और अपना प्राचीन भव्य इतिहास दर्शाते है। इन धरोहरों की कलाकृतियां एवं नक्काशी देखते ही बनती है इन धरोहरों को सहजने और सवारने की जरूरत है। हालांकि जबेरा विधायक एवं प्रदेश की संस्कृति एवं धर्मस्य मंत्री इस काम को अंजाम देने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। वर्तमान में प्राचीन धरोहर में बगदरी ग्राम पंचायत के अंतर्गत आने वाले ग्राम मोहड ,पाठादौ ग्राम पंचायत के अंतर्गत आने वाले ग्राम दौनी, ग्राम पंचायत भैंसा में स्थित मठ मंदिर सम्मिलित हैं। इन प्राचीन धरोहर में केवल कोडल ही एक धरोहर है जहां पर जिले के बाहर से लोग इस प्राचीन धरोहर एवं शिव मंदिर को देखने पहुंचते हैं बाकी धरोहरे बदलाव के इंतजार में है।

कई पत्थर मौके से गायब

मंदिरों में लगे पत्थर स्थानीय सेंड स्टोन हैं, लेकिन उनकी बनावट और ऊंचाई अलग है। माना जा रहा है कि जो मंदिर खुदाई में मिले हैं, उनकी ऊंचाई 70 फीट रही होगी। पुरातत्व विभाग की टीम का मानना है कि कल्चुरी शासनकाल के इन मंदिरों को लोकल स्थानीय लोगों द्वारा नुकसान पहुंचाया गया मंदिरों और मठों लगे कई पत्थर मौके से गायब है आक्रमण या मौसम के कारण जमींदोजविशेषज्ञों के मुताबिक इन मंदिरों के जमींदोज होने के पीछे आक्रमण, मौसम या आसपास के लोगों द्वारा क्षति पहुंचाना आदि कारण हो सकते हैं। डॉ. यादव ने बताया कि मंदिर के कई हिस्से चोरी हो गए हैं। कई लोगों ने तो घरों में यहां के पत्थर लगा लिए। यहां से गणेश, शिव, अर्द्धनारीश्वर समेत करीब 35 प्रतिमाएं मिली है।


तेंदूखेड़ा से विशाल रजक


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