निर्धारित पते पर नहीं ज्वेलरी शॉप, जीएसटी राशि का भी उल्लेख नहीं

दमोह। जनपद पंचायत दमोह में एक और भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है। जनपद की ग्राम पंचायतों में कार्यालयीन उपयोग के लिए खरीदी गई लोहे की अलमारियों के बिल में अनियमिताएं और गड़बड़ियां के साथ खरीदी प्रक्रिया पर भी सवालिया निशान है। मामले में जांच और कार्यवाही लेकर कलेक्टर सुधीर कुमार कोचर को शिकायत भी दर्ज कराई जा चुकी है। ऐसे में अब जांच में क्या बिंदु निकालते है और क्या कार्यवाही होगी यह देखना होगा।
यह है मामला
जानकारी अनुसार जनपद पंचायत की समस्त 89 ग्राम पंचायत में अगस्त 2024 में अलमारियों की खरीद की गई थी। उक्त खरीदी में अलमारियों का भुगतान 15 वें एवं 5 वें वित्त की राशि से किया गया है। जहां खरीदी गई अलमारी की गुणवत्ता उक्त खरीदी में निर्धारित नहीं है, वहीं यह सभी अलमारियां एक ही फर्म से खरीदी जाना बताई जा रही है। जिस राजश्री ज्वेलर्स फर्म से खरीद दर्शाई है वह फर्म अपने बिल में ही खुद को ज्वेलरी और फाइबर फर्नीचर का विक्रेता होना दर्शा रही है और लोहे के फर्नीचर का उसमें कोई भी उल्लेख नहीं है। पंचायतों में पहुंची अलमारी 8 हजार रुपए की बताई गई है जो बाजार की सामान्य कीमत से ज्यादा है।
दर्शाए पते पर दूसरी दुकान
खरीदी और बिल की अनियमितताएं यहीं खत्म नहीं होती। जिस फर्म के बिल समस्त ग्राम पंचायत को उपलब्ध कराए गए हैं उक्त फर्म राजश्री ज्वेलर्स का पता नगर के शर्मा मेडिकल के सामने बकौली चौराहा सराफा बाजार दमोह बताया गया है वहां इस नाम की कोई फर्म संचालित ही नहीं है। इसके अलावा भुगतान किए गए बिल में राजश्री ज्वैलर्स फर्म को सोने चांदी एवं फाइबर फर्नीचर इत्यादि के लिए जीएसटी नंबर जारी किया गया है, जबकि नियम अनुसार आभूषणों और फर्नीचर के लिए अलग-अलग जीएसटी नंबर होनी चाहिए। इन बिलों में जीएसटी की राशि का वर्गीकरण भी नहीं किया गया है और ना ही उसमें जीएसटी राशि का उल्लेख है, क्योंकि सोने चांदी की आभूषणों और फर्नीचर पर जीएसटी की दर अलग-अलग होती है। ऐसे में यह फर्म अस्तित्व में है और यदि है तो लोहे की अलमारियों के लिए अधिकृत भी है या नहीं यह जांच का विषय है।
भंडार क्रय अधिनियम भी दरकिनार
उक्त बिल में सुनियोजित तरीके से बगैर गुणवत्ता निर्धारण एवं अनाधिकृत फर्म से एक साथ अलमारियों का क्रय किया जाना सामने आ रहा है। बहुत सी ग्राम पंचायतों के निकट बड़े कस्वे है जहां से पंचायतें अलमारी की खरीदी कर सकती थी जिससे उन्हें भाड़ा भी कम लगता और स्थानीय दुकानदारों को प्रोत्साहन मिलता लेकिन हैरानी है कि सभी ने खरीदी के लिए एक ही फर्म को चुना। इस खरीद में भंडार क्रय नियम भी पालन किए जाने पर संदेह है। मामले को लेकर शिकायतकर्ता नीतेश प्यासी द्वारा कलेक्टर सुधीर कुमार कोचर को लिखित शिकायत कर जांच और कार्यवाही की मांग की गई है।
मामले में शिकायत प्राप्त हुई है, जिस पर नियमानुसार कार्यवाही की जाएगी।
सुधीर कोचर
कलेक्टर दमोह
मामला संज्ञान में आया है। विधिवत शिकायत प्राप्त होते ही जांच और कार्यवाही प्रस्तावित की जाएगी।
प्रवीण फुलपागरे
सीईओ, जिला पंचायत दमोह