दमोह। जिले में अमृत सरोवर में भ्रष्टाचार और अनियमितताओं के मामलों में कलेक्टर सुधीर कुमार कोचर ने संज्ञान में लेते हुए एसडीएम की अध्यक्षता में जांच दल का गठन किया गया। जिसमें जनपद पंचायत हटा के 9 अमृत सरोवरों जिसमें 5 अमृत सरोवर ग्रामीण यांत्रिकी सेवा दमोह एवं 4 अमृत सरोवर ग्राम पंचायतों के सम्मिलित का मौका स्थल पर जाकर स्थल निरीक्षण उपरांत प्रतिवेदन प्रस्तुत किया गया। प्रस्तुत प्रतिवेदन के आधार पर संभाग आयुक्त डॉ. वीरेन्द्र सिंह रावत ने ग्रामीण यांत्रिकी सेवा दमोह के प्रभारी सहायक यंत्री महेन्द्र सिंह एवं प्रभारी सहायक यंत्री एवं उपयंत्री जनपद पंचायत पटेरा राहुल पटैल को निलंबित किया है।
पाई गई यह कमियां
प्रेषित प्रतिवेदन के अनुसार जो कमियां सामने आई है उसमें ग्राम पंचायत घोधरा द्वारा निर्माणाधीन अमृत सरोवर का एवं ग्रामीण यांत्रिकी सेवा दमोह के द्वारा निर्मित डौली एवं शिवपुर के अमृत सरोवर की साईट सिलेक्शन उपयुक्त नहीं पाया गया। जनपद पंचायत हटा में निर्मित अमृत सरोवरों में से जाँच दल के द्वारा ग्राम पंचायत नयागांव (हरद्वानी), पाठा, काईखेडा, शिवपुर, रजपुरा एवं पाली में निर्मित अमृत सरोवरों में पिचिंग कार्य गुणवत्ताहीन एवं अमानक पाया गया। 9 अमृत सरोवरों में से 1 अमृत सरोवर का बेस्टवियर पक्का पाया गया, 3 अमृत सरोवर के कार्यों में बेस्टवियर अमानक स्तर का पाया गया एवं शेष 5 अमृत सरोवरों में बेस्टवियर निर्माण ही नहीं किया गया।और घोघरा ग्राम पंचायत का अमृत सरोवरका निर्माण प्रगतिरत पाया गया। इसके चलते उक्त अमृत सरोवर के कार्यों का अनियमित मूल्यांकन का सत्यापन तत्कालीन प्रभारी सहायक यंत्री महेन्द्र सिंह ग्रामीण यांत्रिकी सेवा दमोह तथा तत्कालीन प्रभारी सहायक यंत्री ग्रामीण यांत्रिकी सेवा दमोह एवं वर्तमान में उपयंत्री जनपद पंचायत पटेरा जिला दमोह राहुल पटैल द्वारा किया गया है और यह प्रथम दृष्ट्या दोषी पाए गए। जिस पर उनके द्वारा अपने पदीय दायित्वों के निर्वहन में घोर लापरवाही, अनुशासनहीनता व स्वेछाचारिता का द्योतक होकर म०प्र० सिविल सेवा आचरण नियम 1965 के नियम 3 का उल्लघंन मानते हुए म०प्र० सिविल सेवा (वर्गीकरण नियंत्रण एवं अपील) नियम 1966 के नियम 09 अन्तर्गत प्रदत्त अधिकारों का उपयोग करते हुए उक्त कार्यवाही की है।