फर्जी चिकित्सक रहेगा 5 दिन पुलिस की रिमांड पर, न्यायालय में लोगों के आक्रोश का करना पड़ा सामना। दूसरे दिन भी राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की टीम ने किए पीड़ितों के बयान दर्ज….

दमोह। मिशन अस्पताल में फर्जी कार्डियोलॉजिस्ट बनकर लोगों का इलाज कर उन्हें मौत के मुंह में धकेलने के आरोपों से घिरे संबंधित डॉक्टर एन जॉन केम उर्फ नरेंद्र यादव को लेकर मंगलवार को लोगों का आक्रोश देखने को मिला। हालत यह बने की आरोपी डॉक्टर को हिरासत के दौरान लोगों के आक्रोश से बचने के लिए पुलिस के पसीने छूट गए। दरअसल सोमवार रात गिरफ्तार कर दमोह ले गए आरोपी डॉक्टर को मंगलवार सुबह आवश्यक पूछताछ और चिकित्सीय परीक्षण कराकर न्यायालय में प्रस्तुत किया गया, जहां मौजूद अधिवक्ताओं और आमजन ने घटना और आरोपों को लेकर अपना गुस्सा दिखाना शुरू कर दिया। इस दौरान कई लोग उसे फांसी की मांग करते हुए मारपीट करने के लिए भी आगे बढ़ गए लेकिन मौजूद पुलिस बल ने तत्काल कार्यवाही करते हुए उसे सुरक्षित निकाला।

मिली 5 दिन की पुलिस रिमांड
आरोपी से मामले से जुड़ी जानकारी एकत्रित करने और संबंधित बिंदुओं पर पूछताछ के लिए सीजेएम कोर्ट से पुलिस ने 5 दिन की रिमांड मांगी थी। पुलिस की इस मांग पर अभियोजन के तर्कों को सुनकर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट स्नेहा सिंग ने रिमांड को मंजूर कर लिया। अब अगले 5 दिन पुलिस मामले के विभिन्न बिंदुओं पर आरोपी डॉक्टर से पूछताछ करेगी और माना जा रहा है की पूछताछ के उपरांत अन्य आरोपी भी बनाए जा सकते हैं।

अब संबंधित स्थानों पर जाएगी पुलिस
आरोपी पर लगे फर्जी डॉक्टर, फर्जी पंजीयन और फर्जी डिग्री जैसे आरोपों की जांच के लिए अब पुलिस एफआईआर मैं दर्शित विषय वस्तु के अनुसार देश के कई राज्यों में आरोपी को लेकर जाएगी। दरअसल आरोपी पर अलग-अलग स्थान पर प्रेक्टिस करने, इसी तरह की लापरवाहियों सहित मामले दर्ज होने की बात सामने आ रही है। इसके अलावा आरोपी के निवास स्थल को लेकर भी संशय है क्योंकि जहां आधार कार्ड के अनुसार उसका निवास देहरादून उत्तराखंड है तो आरोपी खुद को विदेशी नागरिक होना बताता रहा है। ऐसे में अब इन सभी दावों और आरोपी की पुष्टि करना पुलिस के लिए एक बड़ी चुनौती है जिसके लिए पुलिस द्वारा 5 दिन की रिमांड मांगी गई है। वहीं शासन की ओर से पैरवी करने वाले लोक अभियोजक कैलाश पटेल ने यह स्पष्ट किया है कि यदि आवश्यकता होती है तो वह न्यायालय से रिमांड अवधि बढ़ाए जाने की मांग भी करेंगे।

दूसरे दिन भी दर्ज हुए पीड़ितों के बयान
आरोपी की गिरफ्तारी और न्यायालय में प्रस्तुत किए जाने के बीच दिल्ली से आई राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग की विशेष टीम की जांच दूसरे दिन भी जारी रही। इस दौरान टीम ने मामले में सीएमएचओ कार्यालय के पत्र के आधार पर पांच पीड़ित परिवारों में 2 पीड़ित परिवार के सदस्यों से उनका पक्ष जाना। सूत्रों के अनुसार मंगलवार तक कुल 5 पीड़ित परिवार सामने आ चुके हैं जिसमें सीएमएचओ कार्यालय से जारी किए गए पत्र में दर्शित परिवारों के अलावा एक अन्य परिवार अपना पक्ष रखने के लिए सामने आया है। लेकिन जारी किए गए पत्र में दर्शित एक अन्य पीड़ित परिवार अभी भी जांच टीम के सामने प्रस्तुत नहीं हुआ है। माना यह भी जा रहा है कि आज बुधवार को भी कुछ पीड़ित परिवार आयोग की जांच टीम के समक्ष प्रस्तुत हो सकते हैं, हालांकि आज मानव अधिकार आयोग की टीम अपनी जांच को पूर्ण कर वापस रवाना हो जाएगी।

अस्पताल की लापरवाही अभी भी तय नहीं
हैरानी की बात है की एक फर्जी डॉक्टर द्वारा कार्डियोलॉजिस्ट बनाकर इलाज किए जाने पर 7 लोगों की मौत के आरोप सामने आए हैं लेकिन इसमें जिम्मेदार अस्पताल की जिम्मेदारी अभी भी तय नहीं हो पाई है। आयोग की टीम के जांच में क्या निष्कर्ष निकलता है यह तो फिलहाल तय नहीं है लेकिन अस्पताल प्रबंधन जिस डॉक्टर को एजेंसी के माध्यम से अस्पताल में बुलाया जाना बता रहा है उस कहानी में संदेह है। सूत्र यह भी बताते हैं की अस्पताल प्रबंधन से जुड़े एक व्यक्ति के द्वारा ही संबंधित डॉक्टर को अस्पताल में रखा गया था और इस दौरान स्टाफ के कुछ डॉक्टरों द्वारा उसके फर्जी होने की आशंका भी जताई गई थी लेकिन अस्पताल प्रबंधन ने उसे दरकिनार कर दिया। चूंकि अब तक अस्पताल प्रबंधन ने मामले में अपना पक्ष स्पष्ट नहीं किया है और जांच टीम के सामने ही अपनी बात रखी है ऐसे में अब अस्पताल प्रबंधन की क्या जिम्मेदारी तय होती है यह देखना होगा।

डिग्री पर उपराष्ट्रपति के फर्जी हस्ताक्षर !
सामने आ रही जानकारी अनुसार पुलिस पूछताछ में आरोपी डॉक्टर नरेंद्र ने स्वीकारा कि उसने अपने दस्तावेजों से छेड़छाड़ कर नौकरी पाई थी। उसकी कार्डियोलाजिस्ट की डिग्री पर पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी के हस्ताक्षर भी फर्जी हैं। उसने जर्मनी जाना भी स्वीकारा है। पुलिस ने मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी एमके जैन द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत पर जालसाजी और बेईमानी से गबन के आरोपों पर प्राथमिकी दर्ज की थी। पुलिस अधीक्षक ने बताया कि सीएमएचओ से मिली शिकायत पर आरोपित से पूछताछ की जाएगी। कहा कि मूल शिकायत जो एनएचआरसी को सौंपी गई थी में मिशन अस्पताल में सात मरीजों की मौत का जिक्र था। दूसरी शिकायत सीएमएचओ जैन द्वारा डाक्टर की डिग्री के सत्यापन से संबंधित थी। प्राथमिक सत्यापन में प्रमाण पत्र फर्जी होना आया है ।

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