दमोह/ हटा थाना क्षेत्र में एक स्कूली नाबालिग छात्र को दस्तयाब कर उसके द्वारा बनाई गई अपहरण की झूठी कहानी का का खुलासा किया है। बताया जा रहा है कि कर्ज के चलते उसके द्वारा इस कहानी को अंजाम दिया गया और लगातार परिजनों व पुलिस को भ्रमित भी किया गया। इस संबंध में एसडीओपी वीरेंद्र बहादुर सिंह ने हटा बताया कि कुलुआ कलां निवासी मोतीलाल पटेल ने थाना हटा में रिपोर्ट दर्ज कराई कि मेरा बेटा सौरभ पटेल रविवार को गाँव के लडक़े के साथ बाइक से हटा सामान खरीदने की कहकर गया था जो खचना तिराहा पर रुक गया और उस लडक़े को गाँव भेज दिया। उसके बाद वह रात भर घर नहीं आया तो उसकी तलाश गाँव में तथा हटा में आकर किया एवं रिस्तेदारी में पता की लेकिन उसका कोई पता नहीं चला। वहीं गुम नाबालिग जो मोबाइल साथ रखा था वह भी बंद रहा था। शिकायत के आधार पर पुलिस ने गुम इंसान का मामला दर्ज कर जांच शुरु की।
पहले सामने आई स्कूली दोस्त की कहानी
गुमशुदा के परिजनो ने बताया की नावालिग ने कई बार यह बताया कि उसका एक दोस्त जो अब मुम्बई में रहता है जिसके माता पिता खत्म हो गये है और उसकी मुम्बई मे कई फैक्ट्रियां चल रही है उसके घर पर ईडी का छापा पड़ा है इसलिये उसके पीछे पुलिस पड़ी हुई है वो मुझसे मिलने घर आ रहा है और उसे दमोह रेल्वे स्टेशन से घर तक लाने जाने पड़ेगा। वहीं सोमवार को दोस्त की व्हाट्सएप आईडी से मामा हर्षित पटेल के व्हाट्सएप पर मेसेज आना चालू हुए जिसमे गुमशुदा नावालिग को छतरपुर मे होना बताया एवं स्वयं के पीछे इनकम टैक्स व सीबीआई के द्वारा 02 साल तक कही आने जाने से मना करना बताया और सौरभ को 03 व्यक्तियों द्वारा पकड़े जाने की बात कही एवं उनके पास पिस्टल भी होना बताया और सौरभ को पैर में चाकू मार देना और सौरभ के पिता वृंदावन को देखते ही गोली मार देना आदि मैसेज आये और गुमशुदा के परिजनों द्वारा गुमशुदा की तलाश हेतु छतरपुर मे बताएं स्थान पर पहुचने पर कोई व्यक्ति नही मिला।
सामने आया एक अन्य लड़का
पुलिस द्वारा गुमशुदा की स्कूल जाकर जब उक्तलडक़े के बारे में जानकारी ली गई तो उक्तलडक़े के लुहारी मे होने और उसका गुमशुदा से पिछले ४ वर्षों से कोई संपर्क ना होने की बात कही गई। इसके बाद मंगलवार को परिजनो द्वारा बताया गया की गुमशुदा मोबाईल नंबर से सुबह करीब 07 बजे किसी अनजान व्यक्ति व्दारा कॉल कर बताया की एक लडक़ा लखनऊ के पास सीतापुर मे जगल के पास चोटिल अवस्था में रोड किनारे पड़ा था जिसके मोबाईल मे आपका नंबर था तो मैने आपको फोन करके बता दियर है। इसके कुछ समय बाद उसी नंबर से फोन आया की उस लडक़े को मैने हॉस्पीटल में भर्ती कर दिया है मुझे काम पर जाना है जिसके इलाज के लिये आप पैसे भिजवा दो। उक्त नंबर की जानकारी लेने पर नंबर इंदौर में होना सामने आया जिसके बाद पुलिस व परिजन इंदौर रवाना हुए और इस दौरान उसके नम्बर आदि भी बंद हो गए। वहीं इसके बाद गुमशुदा स्वंय थाना बाणगंगा इंदौर पहुंच गया और थाना बाणगंगा की पुलिस से थाना हटा पुलिस टीम को फोन करवा कर अपनी सूचना दी।
वहीं पुलिस द्वारा दस्तयाव किए जाने के बाद जो कहानी सामने आई उसमें नावालिग पर कर्ज होने के चलते उसके द्वारा कहानी रचते हुए अपने एक साथी दीपक पाल की मदद से अपहरण होने की मनगढ़ंत कहाँनी सुनाकर अपने पिता व रिश्तेदारों से पैसे माँगने का प्रयास किया लेकिन जानकारी पुलिस तक पहुंचने और उसकी तलाश शुरु होने पर उसने खुद ही पुलिस के पास पहुंचकर समर्पण कर दिया।

पुलिस कार्यवाही में एसपी राकेश कुमार सिंह सहित एसडीओपी वीरेन्द्र बहादुर सिंह, थाना प्रभारी मनीष मिश्रा, एसआई नरेन्द्र तिवारी, सौरभ शर्मा, एएसआई सुनील मिंज, मनीष यादव, प्रधान आरक्षक महेन्द्र रैकवार, सौरभ टण्डन राकेश अठ्या, गौरव मिश्रा, आरक्षक नीरज नामदेव की भूमिका रही।