सुबह स्कूल ने दी सफाई, दोपहर स्कूल की हुई जांच शाम को स्कूल की मान्यता निलंबित

दमोह। नगर के गंगा जमुना स्कूल में हिंदू छात्राओं को हिजाब में दिखाए जाने के बाद मामला गहराता जा रहा है, जहां पुन: जांच और लगातार आरोपों को सामने आता देखकर सुबह स्कूल प्रबंधन ने अपना पक्ष रखा और कई बदलावों की बात कही, वहीं कलेक्टर व पुलिस अधीक्षक द्वारा संयुक्तवार्ता करते हुए मामले में जांच व स्कूल प्रबंधन द्वारा कही गई बातों को रखा। जहां सुबह इस मामले में सफाई सामने आई, वहीं दोपहर में स्कूल में जांच के लिए पहुंची मप्र बाल संरक्षण आयोग की टीम के सदस्य ओंकार सिंह, मेधा पवार, सहित बाल कल्याण दमोह से दीपक तिवारी और मुकेश दुबे ने पुलिस की मौजूदगी में किए गए निरीक्षण में कई ऐसे तथ्य मिलने का दावा किया जिससे स्कूल प्रबंधन फिर कटघरे में आ गया। कुल मिलाकर सारे दिन मामले से जुड़ा घटनाक्रम चलता रहा और सुबह स्कूल प्रबंधन की सफाई के बाद शाम होते होते स्कूल प्रबंधन नए आरोपों से घिर गया। इसके बाद संयुक्त संचालक लोक शिक्षण संस्थान ने देर शाम पत्र जारी करते हुए स्कूल की मान्यता निलंबित कर दी है, हालाकि इसके पीछे कारण स्कूल में व्यवस्थाओं की कमी बताई जा रही है।

स्कूृल प्रबंधन की सफाई
मामले को लेकर सुबह स्कूल प्रबंधन द्वारा पत्रकार वार्ता का आयोजन किया गया जिसमें स्कूल संचालक मोहम्मद इदरीश द्वारा यह जानकारी दी गई कि समिति ने निर्णय लेते हुए स्कूल यूूनिफार्म में स्कॉर्फ की वाध्यता समाप्त कर इसे स्वेच्छिक कर दिया है और प्रार्थना में भी बदलाव किया है जिससे अब प्रार्थना में सिर्फ राष्ट्रगान गाया जाएगा। इस दौरान उन्होने यह भी सफाई दी कि पिछले 13 वर्षों से यह स्कॉर्फ ड्रेस कोड का हिस्सा है, और कभी भी इस संबंध में आपत्ति सामने नहीं आई थी। वहीं अभिभावकों द्वारा लगाए गए आरोपों सहित शिक्षकों की नियुक्ति व अन्य आरोपों के संबंध में पूछे जाने पर वह बात को टाल गए और जांच चलने की बात कहने लगे।

पुलिस प्रशासन ने रखा पक्ष
इसी मामले में दोपहर को कलेक्टर मयंक अग्रवाल व पुलिस अधीक्षक राकेश कुमार सिंह ने संयुक्त रूप से वार्ता आयोजित कर अपनी बात रखी। इस दौरान उनके द्वारा कहा गया कि मुख्य यमंत्री के निर्देश पर पुन: जांच के लिए जो टीम गठित की गई है वह जांच कर अपनी रिपोर्ट देगी और रिपोर्ट के आधार पर हम आगामी कार्यवाही करेंगे। वहीं पूर्व में आनन फानन में हुई जांच व स्कूल प्रंबंधन को दी गई क्लीन चिट पर उनका कहना था कि जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा जांच का बिंदु हिजाब के लिए दबाव का होना रखा गया था और दबाव होना सामने ना आने पर क्लीन चिट दी गई थी। वहीं उनके द्वारा अन्य बिंदुओ पर जांच किए जाने की बात के साथ अन्य आरोपों पर जो भी नियमानुसार कार्यवाही किए जाने की बात कही गई। इस दौरान उनके द्वारा यह भी कहा गया कि स्कूल केंद्र सरकार द्वारा अल्पसंख्यक संस्थान द्वारा अनुदान प्राप्त है इसलिए जो भी नियम उनपर लागू होते है उन्हें भी ध्यान में रखा जाएगा।

जांच में फिर नए आरोप
वहीं दोपहर बाद स्कूल का निरीक्षण के लिए पहुंची राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की टीम ने जांच के दौरान जो स्थितियां पाई उससे स्कूल प्रंबंधन पर नए आरोपों से घिरता नजर आ रहा है। दरअसल जांच के लिए पहुंची टीम को स्कूल की दीवारों पर उर्दू भाषा में धार्मिक लेखन की बात सामने आई है। वहीं इस दौरान यह भी सामने आया कि कई दीवारों पर किए गए लेखन को स्कूल प्रबंधन द्वारा रंग से मिटाया गया है। वहीं जब जांच आगे बढ़ी तो अंग्रेजी माध्यम बताए जाने बाले स्कूल में उर्दू भाषा की पुस्तकें पाई गई, इनमें कई ऐसी किताबें भी शामिल थी, जो पाठ्यक्रम से संबंधित ही नहीं थी। हालाकि इस दौरान स्कूल प्रबंधन ने यह किताबें शिक्षकों की होना बताया लेकिन शिक्षक उर्दू भाषा की किताबों से क्यों पढ़ा रहे थे इसका जबाव नहीं दिया गया। वहीं जांच टीम के सदस्यों के अनुसार दस्तावेजों में छात्राओं की जो फोटो सामने आई है उनमें भी वह सिर को ढके हुए है, जो उनकी मान्यताओं के विरुद्ध है और यह भी जानकारी आई है कि स्कूल के गेट पर छात्राओं को हिजाब पहनाया जाता है जो आपत्तिजनक है। स्कूल में उर्दू भाषा जिसे होना और अन्य स्थितियों को देखकर ऐसा लगाता है कि यह एक तरह से धर्मांतरण की तरफ धकेले जाने का मामला है।

इस बीच विदेशी फंडिग की जांच का भी तथ्य
स्कूल प्रबंधन पर लगे आरोपों, सफाई और जांच के तथ्यों के बीच एक नया आरोप भी सामने आया जिसमें विदेशी फंडिग का एंगल भी शामिल है। इस संबंध में राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग ने पुलिस अधीक्षक दमोह को पत्र लिखते हुए जांच में स्कूल के विदेशी फंडिग संबंधी आरोपों सहित संस्था द्वारा छात्राओं को हिजाब पहनने के लिए दबाव बनाए जाने के आरोपों की जांच की भी मांग की है। इसके साथ ही प्रकरण की जांच सुनिश्चित कर दोषियों पर एफआइआर करने और इसकी विस्तृत जानकारी आयोग को 5 दिवस में कराए जाने की बात कही गई है और बताया जा रहा है कि आयोग के द्वारा मामले से जुड़े तथ्यों को भी पुलिस अधीक्षक को भेजा गया है।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह का बयान
के एक स्कूल में बेटियों को सिर पर कुछ बांधकर आने का नियम बना दिया और उन्हें उस व्यक्तिकी कविता पढ़ाई जा रही थी, जिसने भारत का विभाजन कराया। ऐसे में प्रदेश की धरती पर शिक्षा नीति के विरुद्ध कोई भी कार्य होगा वह स्कूल यहां चल नहीं पाएगा।
प्रियंक कानूनगो, अध्यक्ष बाल अधिकार एवं संरक्षण आयोग का बयान
मानव विकास क्रम के वैज्ञानिक सिद्धांत के विपरीत मानव उत्पत्ति का रूढि़वादी सिद्धांत सिखाया जा रहा है। शिक्षा विभाग के जिन भी अधिकारियों ने स्कूल को मान्यता देते समय इन गंभीर मुद्दों को नजर अंदाज किया है, उन पर कार्यवाही की जाएगी।
ओंकार सिंह, सदस्य मप्र बाल अधिकार आयोग का बयान
जांच में जो तथ्य सामने आए है उससे प्रतीत हो रहा है कि बच्चियों को धर्मांतरण की तरफ धकेला जा रहा है। अन्य आपत्तिजनक स्थितियां भी सामने आई है जिस पर कार्यवाही होगी।
सुनिए क्या निकला जांच में