आधारशिला संस्थान मामला: कर्मचारियों की भीड़ लेकर संस्था ने सौंपा ज्ञापन

6 बिंदुओं पर बाल कल्याण समिति सदस्य पर लगाया आरोप

समिति सदस्य का पलटवार कहा कारनामे उजागर हुए तो अपनाने लगे हथकंडे


दमोह। संस्था में कार्यरत कर्मचारी द्वारा नावालिग से शोषण किए जाने व धर्मांतरण के आरोपों में घिरी मिशनरी संस्था आधारशिला संस्थान ने बाल कल्याण आयोग की टीम के निरीक्षण के एक दिन बाद अपने कार्यरत कर्मचारियों के साथ मैदान में आ गई और कलेक्टर को ज्ञापन देते हुए जांच टीम के सदस्यों पर ही आरोप लगाते हुए कारवाही की मांग कर दी। हालाकि ज्ञापन में बाल कल्याण समिति के एक सदस्य सहित किशोर न्याय बोर्ड की एक महिला सदस्य को ही निशाना बनाया है और इन हालातों में संस्था की छवि धूमिल होने सहित बालिका गृह बंद किए जाने की बात कहते हुए संबंधित सदस्य पर वैद्यानिक कार्यवाही की मांग भी की गई है।


6 बिंदुओं पर लगाए आरोप


मामले में संस्थान की ओर से सौंपे गए ज्ञापन में संस्था को अनावश्यक जांचों से बच्चों की संस्थान की मर्यादा और बच्चों को मानसिक आघात पहुंचाने, रविवार की जांच में मीडिया को पूर्व सूचना देकर बुलाए जाने, संस्थान में निवासतर बच्चों से घुमा फिराकर सबाल पूछे जाने, निरीक्षण के दौरान बाल कल्याण समिति के महज दो पुरुष सदस्यों के होने और महिला सदस्यों के ना होने, बाल कल्याण समिति पदाधिकारी दीपक तिवारी द्वारा लगातार संस्था के विरुद्ध प्रचार करने, सदस्य द्वारा शासन द्वारा लाभ के दो पदों पर एक साथ कार्य करने, जांच के दौरान किशोर न्याय बोर्ड सदस्य श्रीमति इंदु वैद्य के अधिकार क्षेत्र ना होने के बाद भी उपस्थित होने और पॉस्को एक्ट की जांच को मीडिया तक पहुंचाने के लिए आयोग के अधिकारियों को वयान दिलाए जाने के लिए किए जाने के आरोप लगाए गए है। वहीं इन हालातों में संस्था द्वारा बालक व बालिका गृह को बंद किए जाने की कार्यवाही प्रस्तावित किए जाने की बात भी कही गई है।



समिति सदस्य ने आरोपों को नकारा

संस्था द्वारा लगाए गए आरोपों का निशाना बने बाल कल्याण समिति सदस्य एडवोकेट दीपक तिवारी का कहना है कि चूकि संस्था के कारनामे और अनियमितताएं लोगों के सामने है और जांच टीम के सामने जो तथ्य आए है उससे संस्था पर कार्यवाही प्रस्तावित हो सकती है, इसलिए अब संस्था इस तरह के हथकंडे अपना रही है। वहीं खुद पर लगाए गए आरोपों के संबंध में भी उन्होने बिंदूबार जबाव दिए है। उनका कहना था कि रविवार को हुई जांच चूकि राज्य बाल आयोग की टीम की थी, इसलिए इसकी सूचना मीडिया को अपने स्तर पर लगी है, और संस्थान द्वारा मीडिया को अंदर जाने से रोके जाने की जानकारियां भी सामने आई है तो मेरे द्वारा सूचना दिए जाने का प्रश्न ही नहीं उठता। वहीं बिंदु क्रमांक 2 व 3 के आरोपों पर उनका कहना था कि यह जांच बाल कल्याण समिति दमोह की नहीं बल्कि राज्य बाल आयोग की टीम की थी तो समिति के कोरम का प्रश्न ही नहीं है और जांच के दौरान बाल कल्याण समिति की महिला सदस्य दीपमाला सैनी उपस्थित थी जो स्वास्थ्य के चलते जांच के दौरान चली गई थी फिर भी इस दौरान राज्य बाल आयोग की टीम की महिला सदस्य डॉ निवेदिता शर्मा जांच के दौरान वहां उपस्थित थी। वहीं बिंदू क्रमांक 4 के आरोप पर उनका कहना था कि नोटरी अधिवक्ता लाभ का पद नहीं है इसलिए यह आरोप भी निराधार है। बिंदु क्रमांक 5 के आरोपों पर उनका कहना था कि किशोर न्याय बोर्ड की सदस्य की उपस्थिति क्यों थी यह राज्य बाल आयोग की टीम का विषय है, लेकिन मेरी जानकारी में यह बोर्ड महिला एवं बाल विकास से संबंधित है, जिससे यह जानकारी ली जा सकती है। वहीं बिंदू क्रमांक 6 पर उनका कहना था कि जांच संबंधी जानकारी राज्य बाल आयोग की टीम के सदस्यों द्वारा दिया जाने के संबंध में मेरे द्वारा दबाव बनाया जाना संभव ही नहीं है और ऐसी कोई जानकारी सामने नहीं आई जिसमें पॉक्सो एक्ट का उंल्लघन हुआ हो तो यह आरोप भी दुर्भावना के चलते लगाया जा रहा है।


 जांच करेंगे पर कार्यवाही का अधिकार नहीं: कलेक्टर

वहीं संस्था द्वारा कलेक्टर बायसी को सौंपी गई ज्ञापन के संबंध में चर्चा किए जाने पर कलेक्टर मयंक अग्रवाल ने बताया संस्था द्वारा ज्ञापन प्राप्त हुआ है जिसकी नियमानुसार जांच भी कराई जाएगी परंतु संबंधित सदस्यों पर कार्यवाही प्रस्तावित किए जाने का अधिकार हमें नहीं है तो जांच रिपोर्ट संबंधित विभाग को भेज दी जाएगी।


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