117 से अधिक बच्चों की छात्रवृत्ति के लिए आवेदन
दमोह। हिजाब कांड से चर्चा में आया नगर के गंगा जमुना स्कूल पर हुई कार्रवाई और मान्यता निलंबन के बाद स्कूल से जुड़ा एक नया फर्जीवाड़ा सामने आया है, जिसमें शिक्षा विभाग की मिलीभगत भी सामने आ रही है। दरअसल मान्यता निलंबन के बाद भी जहां स्कूल का डाइस कोड और आईडी पॉसवर्ड शिक्षा विभाग द्वारा जारी रखे गए, वहीं इस दौरान पूर्व में अध्ययनतर बच्चों का न सिर्फ मैपिंग कार्य हुआ बल्कि बड़ी संख्या में बच्चों की छात्रवृत्ति की प्रक्रिया भी उक्त आईडी पॉसवर्ड से की जा रही थी। मामला सामने आने के बाद विहिप के पदाधिकारियों ने इस संबंध में कलेक्टर को अवगत कराया और कलेक्टर तक जानकारी पहुंचते ही शिक्षा विभाग द्वारा मैपिंग कार्य बंद करने की कार्यवाही शुरु कर दी गई लेकिन इस फर्जीवाड़े में विभाग की भूमिका अभी भी संदिग्ध है।
यह है मामला
दरअसल हिजाब मामले से चर्चा में आए नगर के गंगा जमुना इंग्लिश मीडियम स्कूल की मान्यता पहले निलंबित और उसके बाद निरस्त कर दी गई थी। वहीं . स्कूल में अध्ययनत बच्चों के लिए भी दूसरे स्कूलों में प्रवेश के लिए प्रक्रिया तय की गई थी। नवीन सत्र शुरु होने के बाद स्थितियां सामने आई कि निलंबित स्कूल का डाइस कोड और आईडी पासवर्ड अभी भी चालू रखा गया है और इस दौरान उक्त स्कूल से कक्षा पहली से नवमीं तक के 402 बच्चों के मैपिंग का कार्य भी किया गया। फर्जीवाड़े से जुड़ी जो अन्य जानकारी सामने आई वह यह कि नवीन सत्र में उक्त स्कूल के डाइस कोड से 8 और 9 अक्टूबर को यनि महज दो दिन में 117 से अधिक बच्चों द्वारा छात्रवृत्ति के लिए भी आवेदन कर दिया गए। ऐसे में बगैर मान्यता, बगैर कक्षाओं और बगैर छात्रों के यह कार्य कैसे और किसके द्वारा किया जाता रहा, यह जांच का विषय है क्योंकि स्कूल प्रबंधन से जुड़े प्रमुख लोग अभी तक फरार बताए जा रहे हैं।
मामला खुलते देख की गई अनमैपिंग
वहीं जैसे ही इस मामले को लेकर शिकायत कलेक्टर के संज्ञान में आई शिक्षा विभाग ने आनन-फानन में कार्रवाई शुरू करते हुए स्कूल की अनमैपिंग करना शुरु कर दी। दूसरी ओर इस तरह के फर्जीवाड़े की स्थिति से जिम्मेदार अधिकारी पल्ला झाड़ते हुए अनभिज्ञता भी जता रहे है और छात्रवृत्ति से जुड़े फर्जीबाड़े को भी जांच का विषय बताया जा रहा है लेकिन यह किसके द्वारा किया जाएगा यह तय नहीं है
शिक्षा विभाग की भूमिका संदिग्ध
जहां एकाएक छात्रवृत्ति के लिए इतने पंजीयन होने की स्थिति में गुपचुप किए जा रहे कार्य जानकारों की नजर में आ गए और मामला खुलने लगा। इस तरह की स्थितियों में शिक्षा विभाग की भूमिका संदिग्ध नजर आती है और यह भी तय है कि बगैर विभागीय मिलीभगत से यह कार्य किया जान संभव नहीं है। वहीं छात्रवृत्ति की प्रक्रिया से यह भी तय है कि एक बड़ा वित्तीय फर्जीवाड़ा निलंबित स्कूल और वहां पूर्व में पढ़ने वाले छात्रों के नाम पर किए जाने की तैयारी थी। अब मामले को लेकर विश्व हिंदू परिषद महाकौशल प्रांत ने एक ज्ञापन कलेक्टर के नाम सौंपते हुए मामले में लापरवाही और मिलीभगत दोनो की जांच करते हुए मामले में शामिल विभागीय अधिकारी कर्मचारियों पर कार्यवाही की मांग की है।
स्कूल की अनमैपिंग कर दी गई है और छात्रवृत्ति शासन से तय होती है। यह कार्य किसके द्वारा किया जा रहा था यह जांच का विषय है।
एसके नेमा,
जिला शिक्षा अधिकारी दमोह
निलंबित स्कूल से इस तरह के कार्य होना बगैर विभाग की मिलीभगत से संभव नहीं है इसलिए मामले की जांच कर संबंधितों पर कार्यवाही किया जाना जरूरी है।
कौशलेन्द्र पांडे
जिला मंत्री विहिप