सीएमएचओ को दी गई मिशन अस्पताल में हुई आगजनी की जांच की जिम्मेदारी


फायर सेफ्टी रिपोर्ट पर संशय, अन्य निजी अस्पतालों की भी होगी जांच

दमोह। नगर के राय चौराहा स्थित मिशन अस्पताल में २२ मई को लगी आग और एंटी फायर एक्सटेंशन यूनिट सहित अन्य कमियां सामने आने के बाद मामले की जांच के आदेश दे दिए गए है। पूर्व में निजी अस्पतालों में सामने आए गंभीर घटनाओं के चलते कलेक्टर मयंक अग्रवाल ने मामले में संज्ञान लिया है और मामले की जांच के लिए मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को इसकी जिम्मेदारी सौंपी है जिन्हें पूर्व से ही अस्पतालों की सुरक्षा संबंधी जांच की जिम्मेदारियां है। ऐसे में प्रश्र यह भी है कि पूर्व में इनकी जांच कब और किस तरह से की गई थी और उसमें क्या स्थितियां सामने आई थी।

शासन को जाती है ऑडिट रिपोर्ट


उल्लेखनीय है कि निजी अस्पतालों में सुरक्षा उपायों संबंधी कमियों और लगातार सामने आए हादसों के बाद शासन ने भी इस ओर गंभीर रुख अपनाया था और वर्ष २०२१ में मुख्यमंत्री ने स्पष्ट रूप से निर्देश दिए थे कि अस्पतालों का फॉयर सेफ्टी ऑडिट किया जाए और रिपोर्ट शासन के समक्ष प्रस्तुत की जाए। जिले में इसकी जिम्मेदारी मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी की होती है जिन्हें समय समय पर इसकी जांच करते हुए अपनी रिपोर्ट को प्रस्तुत करना होता है। ऐसे में मिशन अस्पताल सहित अन्य अस्पतालों को लेकर उनका क्या रुख रहा और कब और कैसे जांच की गई । हालाकि मिशन अस्पताल प्रबंधन का दावा है कि उनके पास फायर एनओसी है, लेकिन यह किन मानकों और किन शर्तो पर मिली, इसे स्पष्ट नहीं किया गया है।

निजी अस्पतालों में सुरक्षा संबंधी खामियां

प्रदेश में अस्पतालों में आग लगने के मामले कइ बार सामने आए है और इसमें से कितने ही मामले जानलेवा भी साबित हुए है। इनकी जांच में मुख्य रूप से खामियां एक से अधिक रास्ते ना होना और फायर सेफ्टी इंतजाम महज दिखावा होना ही पाए गए है। यही हालात जिले के ज्यादातर निजी क्लीनिक और अस्पतालों में वर्तमान में है। ज्यादातर अस्पतालों में किसी घटना के समय निकासी के लिए कोई अन्य द्वार नहीं है और एक ही मुख्य द्वार के भरोसे यह अस्पताल चल रहे है। वहीं दूसरी ओर यहां लगे फायर सेफ्टी इंतजाम समय पर कार्य नही करते, जिससे आग फैलने से रोकने में परेशानी होती है। मिशन अस्पताल में लगी आग में भी यह दोनो ही खामियां सामने आई थी, जिसकी जांच की जानी है।

सीएमएचओं कार्यालय में अटकी जांचे


चूकि इस मामले की जांच की जिम्मेदारी अब सीएमएचओ को दी जा चुकी है, लेकिन यह जांच कब तक पूरी की जाएगी और अन्य अस्पतालों के भी सुरक्षा इंतजामों को कब जांचा जाएगा यह अभी तक स्पष्ट नहीं है। दरअसल सीएमएचओ स्तर पर की जाने वाली जांचे पिछले कुछ समय से लगातार अटकी हुई है, जिसके पीछे बड़ा कारण सीएमएचओ डॉ संगीता त्रिवेदी का विदेश में होना है और उनके स्थान पर प्रभारी सीएमएचओ डॉ तुलसा ठाकुर का होना है अगले कुछ दिनों में सेवानिवृत्त होने वाली है। ऐसे में जो भी जांच सीएमएचओ स्तर पर होना है वह लंबित हो रही है और कलेक्टर द्वारा जारी आदेशों के बाद यह महत्वपूर्ण जांच व ऑडिट रिपोर्ट कब प्रशासन को भेजी जाएगी यह देखना होगा। वहीं इस संबंध में प्रभारी सीएमएचओ डॉ तुलसा ठाकुर से जानकारी लेने के लिए संपर्क करना चाहा तो उनके द्वारा फोन रिसीब नहीं किया गया।
इनका कहना है
मामले में सीएमएचओ को जांच के लिए निर्देशित किया गया है और यह भी देखा जाएगा कि सुरक्षा ऑडिट रिपोर्ट शासन को भेजी गई है या नहीं।
मयंक अग्रवाल
कलेक्टर दमोह

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