जातिगत समीकरणों से परे रही दमोह विधानसभा, लेकिन भाजपा के लिए जीत सिर्फ मलैया लेकर आए


पहली बार भाजपा के सामने चेहरे को लेकर असमंजस, कांग्रेस में दावेदारी कम


वैभव नायक।
जिले की 4 विधानसभाओं में प्रदेश में सबसे ज्यादा चर्चित विधानसभा के रूप में विधानसभा क्रमांक 55 दमोह विधानसभा का नाम होता है। जहां वर्षों तक यहां से प्रदेश स्तर पर मंत्रीपद पर जगह मिलती रही, वहीं जिले की सबसे अधिक मतदाताओं और जिले के नाम से ही विधानसभा का नाम होने के चलते इस पर सियासी दलों की विशेष नजर रहती है।इस विधानसभा के सियासी इतिहास पर नजर डाले तो यह विधानसभा सीट जातिगत समीकरणों से परे नजर आती है और यहां कभी भी जाति बाहुल्यता के आधार पर प्रत्याशी को जीत नहीं मिली। जहां यह सीट लंबे समय तक भाजपा का गढ़ और जनसंघ के लिए अनुकूल मानी जाती रही, वहीं कांग्रेस ने भी समय समय पर इस सीट पर कब्जा जमाने में सफलता पाई है।
चेहरे ने पाई यहां सफलता

विधानसभा के राजनीतिक समीकरणों में देखे तो यहां हरिजन वर्ग के मतदाताओं की संख्या सबसे ज्यादा और करीब 45 हजार से ज्यादा है, उसके बाद लोधी समाज के मतदाता करीब 39 हजार होते है। इसके अलावा जैन, ब्राम्हण, यादव, कुर्मी, काछी, कायस्थ व मुस्लिम समाज के लोग यहां 18 हजार से 12 हजार के बीच मतदाता प्रत्येक वर्ग से हो जाते है। इसके अलावा रैकवार व सेन समाज सहित मसीही समाज के भी यहां 8 से 5 हजार तक मतदाता चुनावी परिणामों में अपनी भूमिका निभाते है। ऐसे में वर्ष 1651 से 2021 के उपचुनाव तक नजर डाले तो यहां चेहरे ने ही सफलता पाई है और जातिगत समीकरण प्रभावशाली नहीं हो सके है।
भाजपा के लिए जीत सिर्फ जयंत मलैया से
जहां एक ओर यह सीट भाजपा का गढ़ कही जाने लगी थी, वहीं रोचक तथ्य यह भी है कि इस सीट पर भाजपा के लिए जीत सिर्फ जयंत मलैया ही लेकर आए है और जब पार्टी ने उनके अलावा किसी अन्य चेहरे को मैदान में उतारा है तो कांगे्रस ने इस सीट पर कब्जा जमाया है, हालाकि खुद जयंत मलैया को भी कांग्रेस उम्मीदवार से हार का सामनाा करना पड़ा लेकिन भाजपा के लिए सफलता का मंत्र वहीं रहे है।
प्रत्याशी चयन में भाजपा को परेशानी
वर्ष २०१८ के चुनाव में जयंत मलैया की अप्रत्याशित हार के बाद प्रत्याशी चयन की जो परेशनियां भाजपा के लिए होती थी, वह अब भाजपा के लिए खड़ी होने लगी है। जहां एक ओर कांग्रेस के लिए २०२१ के उपचुनाव में १७ हजार से अधिक मतों से जीतने वाले अजय टंडन पर पुन: भरोसा करने में ज्यादा संशय नहीं है, वहीं भाजपा में अब कई ऐसे चेहरे सामने आने लगे है जिनके बीच से चयन करना भाजपा के लिए लंबा चिंतन का विषय हो सकता है, वहीं भाजपा के वर्तमान हालातों को देखकर यह भी आशंका है कि पार्टी को भितरघात का भी सामना करना होगा और भाजपा के लिए भितरघात हमेशा मुश्किलें खड़ी करता है।
जयंत मलैया जीते 7 बार
विधानसभा दमोह में जयंत मलैया का कितना दबदवा रहा है यह इस बात से समझा जा सकता है कि विधानसभा में 1951 से लेकर 2021 तक हुए कुल 17 चुनावों में जयंत मलैया 7 बार विजयी हुए है और उनकी जीत तब भी हुई जब प्रदेश में कांग्रेस की लहर देखी गई। वहीं उनके अलावा अन्य उम्मीदवार अधिकतम 2 बार ही विजयी हो सके है, जिसमें सबसे पहले एचएल मरोठी, फिर आनंद श्रीवास्तव व फिर प्रभुनारायण टंडन ने दो चुनाव जीते है। इसके अलावा अन्य उम्मीदवार मुख्य व उपचुनाव मिलाकर महज एक बार ही विजयी हो सके है। लेकिन अब सियासी समीकरण बदल चुके है और 2018 के मुख्य व व २०२१ के उपचुनाव में कांग्रेस लगातार जीती है और जयंत मलैया भी उम्रदराज होने के चलते अब सक्रिय राजनीति से पीछे हो रहे है।



विधानसभा के आजतक के चुनावी परिणाम

वर्षप्रत्याशी
1951एचएल मरोठी
1957 एचएल मरोठी
1962आनंद श्रीवास्तव
1967 प्रभुनारायण टंडन
1972आनंद श्रीवास्तव
1977प्रभुनारायण टंडन
1980 चंद्रनारायण टंडन
1984 जयंत मलैया
1985मुकेश नायक
1990 जयंत मलैया
1993जयंत मलैया
1998 जयंत मलैया
2003 जयंत मलैया
2008 जयंत मलैया
2013 जयंत मलैया
2018 राहुल सिंह
2021 अजय टंडन
उपलब्ध स्त्रोतों से जानकारी पर आधारित

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back To Top