झालोंन में पिछले दिनों हुई थी महिला की मौत, लेकिन जिम्मेदार बैठे रहे शिकायत के इंतजार में
दमोह। जिले में प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग द्वारा झोलाछाप डॉक्टरों पर की जाने वाली कार्यवाही खत्म होते ही फिर से झोलाछाप डॉक्टरों ने मनमर्जी इलाज करना शुरू कर दिया है। ऐसे में सबसे ज्यादा मुसीबत उन लोगों की हो रही है जो जाने अनजाने में ऐसे डॉक्टरों से अपना इलाज कराते है। कई मामलों में रोगी की हालत गंभीर हो जाती है तो कई मामलों में रोगी की जान भी चली जाती है लेकिन इन सब बातों के बाद भी जिम्मेदार संज्ञान लेकर कार्यवाही करने की जगह शिकायत प्राप्त होने के इंतजार में बैठे रहते हैं।
झोलाछाप के इलाज से महिला की मौत!
इसी तरह की एक घटना 25 अगस्त को सामने आई है तेन्दूखेड़ा ब्लॉक के झलौन में जहां झोलाछाप डॉक्टर के इलाज के चलते एक महिला की मौत हो गई। लेकिन मामले में किसी कारणवश परिजनों द्वारा शिकायत दर्ज न कराए जाने के चलते कोई भी कार्यवाही इस ओर प्रस्तावित नहीं की गई। परिजनों के अनुसार जमना पति परम गौड़ उम्र 30 वर्ष को सिर दर्द हो रहा था। ऐसे में महिला घर पर किसी के ना होने के चलते वह क्षेत्र में संचालित एक झोलाछाप डॉ जैन के पास गई जहां उसे रक्त जांच की सलाह देते हुए एक सीसी में दवाई दे दी गई और इलाज के कुछ देर बाद महिला का शरीर अकड़ने लगा। जिसके चलते परिजन एक बार फिर महिला को इस डॉक्टर के पास लेकर पहुंचे और झोलाछाप डॉक्टर जांच रिपोर्ट के आधार पर फिर से दवाई करने लगा लेकिन महिला की मौत हो गई।
दबा दिया गया घटना को
महिला जमना बाई आदिवासी की किस कारणों के चलते मौत हुई है इसकी पता नहीं चल सकता है क्योंकि मृतिका महिला के परिजनों द्वारा इसकी जानकारी ना ही पुलिस और ना ही स्वास्थ्य विभाग को दी गई थी। बताया जा रहा है कि किसी दबाव, डर और अनपढ़ होने के चलते परिजनों ने इसकी शिकायत नहीं कि जिससे महिला का पोस्टमार्टम भी नहीं हो सका। सूत्र बताते है कि घटना की जानकारी अधिकारियों को भी है लेकिन किसी ओर इस और ध्यान देना जरूरी नहीं समझा।
27 मील पर दवाओं का अवैध भंडार
इसी तरह सैलवाड़ा मार्ग पर 27 मील पर एक झोलाछाप डॉक्टर श्रीराम पाल द्वारा अपनी क्लीनिक संचालित की जा रही है जो जबलपुर जिले के कौनी से आकर लोगों का इलाज कर रहा है। बताया जा रहा है उक्त डॉक्टर आयुर्वेदिक पद्धति से इलाज के नाम पर एलोपैथिक पद्धति से इलाज कर रहा है जो लोगों के लिए खतरा है। हैरानी की बात यह भी है कि क्लीनिक में भारी मात्रा में एलोपैथिक दवाओं का भंडार होने के बाद भी कोई भी अधिकारी यहां निरीक्षण नहीं करता।