सामने आई फर्जी डॉक्टर मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की बहुप्रतीक्षित रिपोर्ट…

अस्पताल की कैथलैब और डॉक्टर दोनों फर्जी, इलाज से हुई मौतों में परिजनों को 10 लाख मुआवजे की बात

पूरे मामले में तत्कालीन सीएमएचओ की लापरवाही और पुलिस प्रशासन की भूमिका पर भी सवाल

फर्जी डॉक्टर एन जोन केम उर्फ विक्रमादित्य यादव

दमोह। नगर के चर्चित मिशन अस्पताल में फर्जी डॉक्टर एनजॉन केम के इलाज से 7 लोगों की मौत होने और संचालित कैथलैब के फर्जी होने के आरोपों।के मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की 3 सदस्यीय टीम द्वारा की गई जांच की रिपोर्ट सामने आई है।लगभग 3 महीने बाद सामने आए आयोग के जांच प्रतिवेदन में अस्पताल की कैथलैब और वहां पर सेवाएं देने वाले डॉ एन जॉन केम को फर्जी पाया गया है। इसके अलावा मिशन अस्पताल में मरीजों को आयुष्मान कार्ड के नाम पर मिलने वाली सुविधाओं में भी फर्जीवाड़े की बात कही गई है। इस पूरे मामले में तत्कालीन सीएमएचओ डॉ मुकेश जैन की लापरवाही पाते हुए प्रशासनिक जांच के भी आदेश दिए गए है और पुलिस की कार्यवाही पर भी प्रश्न उठाए गए है। जांच प्रतिवेदन में आयोग ने विभागीय प्रमुखों को मामले में जांच और कार्यवाही के निर्देश दिए हैं। ऐसे में यह देखना होगा कि आगामी दिनों में क्या कार्रवाई उच्च स्तर से की जाती है।

उल्लेखनीय है कि मिशन अस्पताल का लाइसेंस पूर्व में ही जिला प्रशासन और फिर राज्य शासन द्वारा निलंबित कर दिया गया है। और साथ ही प्रबंधन से जुड़े लोगों पर मामला दर्ज कर गिरफ्तारी पर इनाम भी घोषित किया गया है।

जांच प्रतिवेदन में मुख्य बात

आयोग की जांच रिपोर्ट के आधार पर मिशन अस्पताल और उसकी प्रबंध समिति पर 7 अलग-अलग एफआईआर दर्ज करने के आदेश जारी किए गए हैं। मिशन अस्पताल के विदेशी फंडिंग सहित ईओडब्ल्यू को फर्जीवाड़े की जांच की सिफारिश की गई है।आयोग की जांच रिपोर्ट में मिशन अस्पताल प्रबंधन और डॉक्टर केम से 10-10 लाख की जुर्माना राशि सभी 7 मरीजों को देने के आदेश दिए गए हैं। इसके अलावा मामले के शिकायतकर्ता बाल कल्याण समिति दमोह अध्यक्ष एडवोकेट दीपक तिवारी और दूसरे शिकायतकर्ता कृष्णा पटेल को व्हिसल ब्लोअर एक्ट के तहत सुरक्षा प्रदान किए जाने के निर्देश भी दिए गए हैं।

सीएमएचओ ने दो महीने जांच को दबाए रखा

बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष दीपक तिवारी ने बताया कि जनवरी-फरवरी में एक फर्जी डॉक्टर एन जॉन केम ने 7 हृदय रोगी मरीजों का इलाज किया था, जिससे उनकी मौत हो गई थी। इस मामले की शिकायत मैंने कलेक्टर से की थी। कलेक्टर ने सीएमएचओ को जांच के आदेश दिए थे। सीएमएचओ डॉ मुकेश जैन ने दो महीने तक इस जांच को दबाकर रखा। इसके बाद मुझे राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग में शिकायत करनी पड़ी। आयोग की टीम ने आकर इस मामले की जांच की। मरीजों के परिजनों से बात की और उसके बाद अब जांच रिपोर्ट आई है। उसमें मिशन अस्पताल के प्रमुख डॉ. अजय लाल भी आरोपी हैं।

अस्पताल के नाम पर सरकारी जमीन पर अतिक्रमण

जांच में सामने आया है कि मिशन अस्पताल सरकारी जमीन पर बनाया गया है। शिकायतकर्ता के मुताबिक जांच में यह भी स्पष्ट हुआ है कि यह अस्पताल सरकारी भूमि पर अतिक्रमण कर बनाया गया है।आयोग ने अस्पताल का रजिस्ट्रेशन रद्द करने के लिए भी लिखा है। उन्होंने कहा कि अब जिला प्रशासन के ऊपर निर्भर करता है कि वह इस मामले में कितनी जल्दी कार्रवाई कर उन पीड़ितों को न्याय दिलाएंगे, जिनके परिजनों की मौत हुई है।

अभी मिशन अस्पताल से सम्बंधित जांच रिपोर्ट उनके पास नहीं आई है। रिपोर्ट का अध्ययन करने के बाद ही जानकारी दे पाएंगे।

सुधीर कुमार कोचर
कलेक्टर दमोह

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