दमोह। महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा जिला विधिक सेवा प्राधिकरण जिला दमोह के मार्गदर्शन व सहयोग से मंगलवार को एडीआर भवन में कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला को संबोधित करते हुए जिला न्यायाधीश डॉ आरती शुक्ला पांडे द्वारा मीडिया का क्या महत्व है बताते हुए कहा कि मीडिया न सिर्फ सूचना और शिक्षा का माध्यम है बल्कि वह समाज को जागरूक करने में भी अपना दायित्व निभाता है। उन्होंने कहा कि मीडिया समुदाय में हाशिए के व्यक्तियों की आवाज है, वह उनकी आवाज को जि मेदारों तक पहुंचाता है। वहीं जिला न्यायाधीश एवं सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण अंबुज पांडे द्वारा अपने संबोधन में बालकों से संबंधित प्रकरणों में मीडिया रिपोर्टिंग में जि मेदारी से एवं विधि अनुरुप दायित्व निर्वहन की जानकारी कानूनी प्रावधानों के साथ स्पष्ट रुप में बताई गई। उन्होंने मीडिया साथियों हेतु विधिक साक्षरता के लिएए जिला विधिक सेवा प्राधिकरण दमोह की भूमिका और सहयोग की भी जानकारी दी। इस दौरान महिला एवं बाल विकास विभाग सहायक संचालक शालीन शर्मा द्वारा बालकों एवं महिलाओं से जुड़े प्रकरणों की रिपोर्टिंग करते समय जि मेदारी और अनुशासित भाषाए शब्द व शैली के प्रयोग की बात के साथ किशोर न्याय अधिनियम 2015 की धारा 74 एवं पोक्सो अधिनियम 2012 की धारा 23 के संबंध में पहचान उजागर न करने संबंधी प्रावधानों की जानकारी एवं दंड के प्रावधान के बारे में विशेष रूप से बताया और नावालिगों की रिपोर्टिंग से संबंधित प्रावधानों के संबंध में बताया गया और मीडियाकर्मियों ने भी अपने सुझाव के साथ जि मेदार रिपोर्टिंग का भरोसा दिलाया। इस दौरान जिला विधिक सेवा अधिकारी रजनीश चौरसिया, यूनिसेफ ममता के जिला संयोजक वीरेंद्र जैन की उपस्थिति रही।