डेम निर्माण में हुआ भ्रष्टाचार, मामला दर्ज करने में लगे 10 वर्ष


12.7 लाख के भ्रष्टाचार में विभागीय आवेदन के बाद भी नहीं की गई थी एफआईआर

दमोह। शासकीय कार्यों में भ्रष्टचार की शिकायतें सामने आना आम बात है लेकिन इन शिकायतों पर जांच और कार्यवाही किस तरह से होती है इस बात का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि ब्लॉक में 10 वर्ष पूर्व किए गए एक भ्रष्टाचार में लोकायुक्त जांच के बाद विभागीय आवेदन के बाद भी 10 वर्षों तक एफआईआर नहीं हो सकी और मामला भी पूरी तरह दबा दिया गया, लेकिन एक बार फिर मामला खुला और अब मामले में प्राथमिकी दर्ज की गई है। मामला ग्राम पंचायत ससना के ग्राम ढाना का है जहा जल संसाधन विभाग के इंजीनियरों व ठेकेदार की मिली भगत से लाखों का घोटाला किया गया था और इस भ्रष्टाचार के पूरे मामले की जांच लोकायुक्त द्वारा किए जाने पर एक उपयंत्री, दो अनुविभागीय अधिकारी तथा एक तत्कालीन कार्यपालन यंत्री को कर्तव्य में लापरवाही बरतने, फर्जी तरीके से निर्माणकर्ता कंपनी को फायदा पहुंचाने एवं शासन को आर्थिक नुकसान पहुंचाने का दोषी पाया गया था।


यह है मामला

दरअसल वर्ष 2012 -13 में जल संसाधन विभाग दमोह द्वारा तेंदूखेड़ा जनपद अंतर्गत ससना ग्राम पंचायत के ढाना गांव में लगभग दो करोड़ की लागत से एक डेम तैयार किया जाना था। जिसके निर्माण ठेका मीरा कंस्ट्रक्शन को दिया गया था। निर्माण के दौरान डेम के नींव की गहराई जो की तीन मीटर तक जानी थी वो मात्र 1.70 एवं 1.80 मीटर ही डाली गई। यानी की लगभग 1.30 मीटर गहराई का अपनी निर्धारित लंबाई चौड़ाई का डेम के नींव का स्लैब ही गायब कर दिया गया। निर्माणकर्ता कंपनी के इस भ्रष्टाचार पर पर्दा डाला उपयंत्री द्वारका प्रसाद नकीब, एसडीओ वीरेंद्र सिंह ठाकुर, एसडीओ स्व आरके खरे एवं भुगतान अधिकारी एवं तत्कालीन कार्यपालन यंत्री सुरेंद्र पीतलिया ने। इन सभी के द्वारा कार्य का फर्जी मूल्यांकन करते हुए उपयंत्री एवं दोनो अनुविभागीय अधिकारी ने कार्य की माप पुस्तिका क्रमांक 847ए,848 में डेम की नींव की गहराई निर्धारित 3 मीटर ही अंकित की गई जिसके आधार पर भुगतान अधिकारी एवं तत्कालीन कार्यपालन यंत्री सुरेंद्र पीतलिया द्वारा निर्माण एजेंसी को 12 लाख 70 हजार रुपए का अधिक भुगतान भी कर दिया गया।

टीम द्वारा जांच में सामने आया फर्जीबाड़ा

इस धांधली की शिकायत लोकायुक्त को किए जाने के बाद लोकायुक्त ने प्रकरण पर कार्यवाही करते हुए निर्माण में धांधली की आशंका मानते हुए मु य अभियंता, धसान केन कछार, सागर से स्थल पर नींव की वास्तविक गहराई ज्ञात करने के निर्देश दिए गए थे, जिस पर अधीक्षण यंत्री जल संसाधन मंडल सागर स्तर पर जांच दल गठित किया जाकर जांच की गई। जांच समिति द्वारा 25 मई 2020 को स्थल निरीक्षण कर मौके पर तीन स्थानों पर एक मीटर गुना एक मीटर के गड्ढे खुदवाए गए जिसमें पहले गड्ढे में नींव के क्रांकीट की गहराई 1.82 मीटर एवं दूसरे में1.70 मीटर पाई गई । जबकि माप पुस्तिका में यह गहराई ३ मीटर अंकित की गई है। जिससे शासन को 12 लाख 70 हजार की आर्थिक हानि और निर्माण एजेंसी मीरा कंस्ट्रक्शन को फायदा होना पाया गया। जांच उपरांत वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा निर्माण कार्य में भ्रष्टाचार करने वाले जि मेदार अधिकारियों पर एफ आई आर के आदेश दिए गए लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हुई। वहीं 3 फरवरी 2023 के पत्र मेंं भ्रष्टाचार के आरोपियों पर एफ आई आर करवाने के लिए लेख किया गया था लेकिन इसे दरकिनार कर दिया गया। इसके चलते अपर सचिव मध्यप्रदेश शासन को दिनाक 13 मार्च 2023 को पुन: प्रमुख अभियंता जल संसाधन विभाग भोपाल को पत्र लिखकर एफ आईआर करवाने हेतु लेख किया गया, जिस पर वर्तमान कार्यपालन यंत्री शुभम अग्रवाल द्वारा दिनांक 12 अप्रैल 2023 को पुलिस अधीक्षक पत्र तो लिखा गया लेकिन इसमें भी अनुविभागीय अधिकारी वीरेंद्र सिंह ठाकुर एवं उपयंत्री द्वारका प्रसाद नकीब के पर ही एफआईआर किए जाने की मांग की गई है।


लेट लतीफी से आरोपियों को मिला फायदा

जहां हालातों को लेकर अवर सचिव द्वारा दिनाक 13 मार्च 2023 को विभाग को पत्र लिखकर पहले पत्र पर कार्यवाही न करने को लेकर नाराजगी जाहिर की गई जिसके बाद एफआईआर की कार्यवाही तो शुरु की लेकिन उसमें भी तत्कालीन कार्यपालन यंत्री सुरेंद्र पीतलिया को छोड़ दिया गया, वहीं मामला खुलते देख और एफआईआर में लेटलतीफी का फायदा आरोपियों ने उठाया और मामले में शामिल बताए जा रहे एसडीओ वीरेंद्र सिंह द्वारा 19 मार्च 2023 को माननीय न्यायालय से एफ आईआर के विरुद्ध राहत आदेश प्राप्त कर लिया गया है। ऐसे में कार्यपालन यंत्री दमोह द्वारा 12 मार्च 2023 को एफ आई आर करने के आवेदन के 7 दिन बाद तक पुलिस विभाग द्वारा कोई एफ आई आर दर्ज नही करना भी संदेह में है जिससे संंबंधित इसके विरुद्ध स्थगन प्राप्त कर सकें।


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