बाघों के साथ अब पक्षियों का भी पसंदीदा आशियाना बना नौरादेही

एक्सपर्ट सर्वे में 183 प्रजातियों की हुई पुष्टी

दमोह। तीन जिले की सीमा में फैले और बाघों के चलते अपनी पहचान बना रहे नौरादेही अभयारण अब जैव विविधता के मामले में भी तेजी से समृद्ध हो रहा है और यहां वन्य प्राणियों के साथ साथ पक्षियों की संख्या व प्रजातियों में भी तेजी से वृद्धि हो रही है। दरअसल अभ्यारण में वन्यजीवन विशेषज्ञों की टीम ने 12 से 15 जनवरी तक यहां पक्षियों की चौथी गणना का कार्य किया था और सामने आए परिणाम सकारात्मक है। इस सर्वे में 183 प्रजातियों के पक्षियों का आशियाना यहां होना पाया गया है और साथ ही साथ गणना मे दुर्लभ और संरक्षित की श्रेणी में पहुंच चुकी प्रजातियों के निवास की भी जानकारी मिली है। दरअसल गणना में देश के विभिन्न वन्यप्राणी शोध संस्थानों के छात्र, एक्सपर्ट और वनकर्मियों की टीम ने अभ्यारण के नौरादेही, डोंगरगांव, सिंगपुर, सर्रा, मुहली, झापन रेंज की 11 ट्रेल्स पर सर्वे किया था। तीन दिन चले सर्वे के दौरान घने जंगल, तालाब- पोखर और मैदानों में पक्षियों की प्रजातियों का अध्ययन कर सर्वे रिपोर्ट तैयार की गई है। इस रिपोर्ट में अभयारण्य में 183 प्रजातियां सामने आई हैं

प्रवासी पक्षियों का भी बसेरा

जानकारी अनुसार अभयारण्य में भारतीय उपमहाद्वीप में पाए जाने वाले पक्षियों की 26, भारतीय मूल के पक्षियों की 3 प्रजातियां पाई गई हैं। इसके अलावा सिनेरियस वल्चर, पेंटेड स्टॉर्क, ओरियेंटल डॉर्टर और इंडियन वल्चर, रेड हेडेड वल्चर जैसे दुर्लभ पक्षियों ने भी अभयारण्य को अपना निवास बनाया है। सर्वे के दौरान स्थानीय पक्षियों की 116 प्रजातियां पाई गई है। वहीं आसपास के स्थानों से प्रवास पर आने-जाने वाले पक्षियों की 18 प्रजातियों का भी पता लगा है। अभयारण्य में शीतकाल के दौरान इस साल सर्वाधिक बाहरी पक्षी आए थे जिनकी भी सर्वे में 42 प्रजातियां मिली थीं। इसके अलावा लंबी दूरी से आने वाले लेजर केस्ट्रल और ऊंचाई वाले स्थानों से आने वाले लॉग टेल्ड मिनविट जैसे पक्षी भी अभयारण्य में पाए गए। यह पक्षी हिमालय के बर्फीले पहाड़, भारतीय उपमहाद्वीप के सुदूर क्षेत्रों से सर्दियां बिताने यहां आ रहे हैं।

भविष्य की योजनाओं में मदद

बर्ड सर्वे में आवास के आधार पर भी पक्षियों का अध्ययन किया गया है। कौन सी प्रजाति के पक्षी किस तरह का आवास पसंद करते हैं इसका ब्योरा जुटाकर रिपोर्ट में शामिल किया गया है। सर्वे के अनुसार अभयारण्य की ट्रेल्स में पक्षियों की 41 प्रजातियां ऐसी मिली है, जो आर्द नम भूमि पसंद करने वाली हैं। इसके अलावा अभयारण्य में दर्जनों पोखर तालाब बारिश में लबालब होने के बाद गर्मियों तक भरे रहते हैं इस वजह से सर्दियों में इनके आसपास का जंगल प्रवासी पक्षियों का प्रमुख आवास बनते हैं अभयारण्य में घने वृक्षों पर रहना पसंद करने वाली 30, घास के मैदानों में रहने वाली 27 प्रजातियां पाई गई हैं तो ऊष्टकटिबंधीय वनों से आने वाले पक्षियों की एक और सघन वनों में रहने वाले पक्षियों की 6 प्रजातियां मिली है। ऐसे में यह अंदाजा लगाया जा रहा है कि इस अभ्यारण में विविधतापूर्ण वातावरण निर्मित हो रहा है, जो सभी प्रकार के पक्षियों के साथ वन्य प्राणियों के लिए भी उपयुक्त है।

मिली विलुप्त होती प्रजातियां

वन्यप्राणी संस्थान द्वारा पक्षियों की संख्या की कमी और लुप्त होने की स्थिति को देखते हुए संरक्षण के लिए अलग- अलग श्रेणियों में चिह्नित किया है, जिसमें अभ्यारण के सर्वे में इन गंभीर खतरे से गुजर रही 6 प्रजातियां भी पाई गई है। इसमें विलुप्त होने की कगार पर पहुंची ओरियेंटल डॉर्टर. पेंटेड स्टॉर्क सिनेरियस वल्चर सहित विलुप्तता के गंंभीर खतरे पहुंच चुके गिद्धों की तीन प्रजाति इंडियन वल्चर, रेड हेडेड वल्चर और व्हाइट रैप्ड वल्चर भी अभ्यारण को शरणस्थली बनाए हुए हैं। ऐसे में सर्वे से सामने आए रुझान वन्य जीवन को पसंद करने वाले लोगों में उत्साह पैदा कर रहे है और माना जा रहा है कि बाघों के साथ साथ पक्षियों के चलते भी अभ्यारण लोगों की पसंद बन सकता है।

लगातार आंकड़ों में सुधार

वहीं सर्वे के आंकड़ो को देखे तो लगातार आंकड़े सकारात्मक होते जा रहे है। जिसमें वर्ष 2018 में 140 प्रजातियां के बाद, वर्ष 2020 में 131 प्रजातियां पाई गई थी। लेकिन फिर वर्ष 2021 में यह बढ़कर 175 और इस वर्ष 2023 में 183 हो गई है। इनमें रेसिडेंट 116, लोकल माझट 18, विंटर माइग्रेंट 42, पैसेज माइग्रेट 01, एल्टीट्यूडनलमाइग्रेंट की 01 प्रजाति शामिल है।

इनका कहना है

सर्वे में अभ्यारण में जैव विविधता के साथ बढ़ती प्रजातियां सामने आना उत्साहजनक है, भविष्य में इन पक्षियों से एक बड़ी पहचान हमें मिलेगी।

सेवाराम मलिक, एसडीओ

नौरादेही वन्यप्राणी अभ्यारण

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