दर्जनों बच्चों को साथ पहुंचकर की स्कूल की निलंबित मान्यता बहाली की मांग

गंगा जमुना स्कूल पर उच्च न्यायालय के फैसले के बाद अब फिर प्रशासन को दिया ज्ञापन

दमोह। हिजाब व धर्मांतरण के आरोपों के चलते चर्चा में बने गंगा जमुना स्कूल की निलंबित मान्यता पर उच्च न्यायालय से भी राहत ना मिलने के बाद एक बार फिर प्रशासन को ज्ञापन देकर निलंबित मान्यता की बहाली की मांग की जा रही है। मंगलवार को दर्जनों नावालिग व छोटे बच्चों को साथ लेकर उनके अभिभावक व स्कूल प्रबंधन के पक्ष में बताए जा रहे लोग कलेक्टर व जिला शिक्षा अधिकारी के नाम ज्ञापन देते हुए स्कूल की निलंबित मान्यता पुन: बहाली की मांग करने पहुंचे। इस मांग के पीछे कारण गरीब तबके के बच्चों का शिक्षण की सुविधाएं ना मिलना सहित बच्चों के भविष्य की चिंता का हबाला दिया गया है और मांग पर विचार ना करने पर आंदोलन की चेतावनी भी दी गई है।

शासकीय स्कूल में नहीं है उर्दू शिक्षक

ज्ञापन में गंगा जमुना के बच्चों के प्रवेश के लिए तय स्कूलों में अग्रेजी माध्यम व उर्दू विषय की पढ़ाई ना होने की बात भी उल्लेखित की गई है और साथ ही साथ यह भी कहा गया है कि गंगा जमुना स्कूल में कम फीस में अच्छी शिक्षा के साथ स्कूल में अध्ययनरत छात्रों का भविष्य अंधकारमय होने की स्थिति है। वहीं उपस्थित अभिभावकों का कहना था कि इस संबंध में पूर्व में भी आवेदन दिया गया था, जिस पर आश्वासन दिया गया लेकिन फिर कोई भी कार्यवाही नहीं की गई। इस दौरान उपस्थित बच्चों ने यह भी कहा कि उन्हें वहीं स्कूल और शिक्षक चाहिए है और वह सरकारी स्कूल में नहीं पढ़ेगें।

स्कूल प्रबंधन से जुड़े लोग फरार

एक ओर गंगा जमुना स्कूल की मान्यता बहाली के लिए न्यायालय के बाद एक बार फिर ज्ञापन दिए जाने लगे है, वहीं दूसरी ओर स्कूल प्रंबंधन से जुड़े लोगों को मामले में आरोपी बनाए जाने के चलते वह अभी तक फरार है। ऐसे में स्कूल की मान्यता बहाली के बाद उसके संचालन की बागडोर किसके हाथ में होगी यह एक प्रश्न है क्योकि एक निजी स्कूल की प्रबंधन समिति समिति के सदस्यों द्वारा ही तय की जा सकती है या फिर इसका संचालन शासन को अपने हाथों में लेना होगा। हालाकि इन समस्याओं के पूर्व ही शासन हेल्प डेस्क बनाते हुए निर्देश भी जारी कर दिए थे, लेकिन इसके बाद भी अभिभावकों व बच्चों के माध्यम से विरोध जताया जा रहा है।

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