देश के सबसे पुराने राजनीतिक दल को नहीं राष्ट्रगान और राष्ट्रगीत में अंतर की जानकारी!

वरिष्ठ नेताओं की मौजूदगी में राष्ट्रगान की घोषणा कर गाते रहे राष्ट्रगीत

दमोह। किसी भी देश के लिए उसके राष्ट्रगान और राष्ट्रगीत का विशेष महत्व होता है और संभवतः राष्ट्रगान और राष्ट्रगीत किसी देश की विशेष पहचान भी बनाते हैं। ऐसे में आम नागरिकों से हमेशा यह अपेक्षा होती है कि वह देश की इन पहचान का न सिर्फ आदर करें, बल्कि उसके बारे में पूरी जानकारी भी रखें। लेकिन यदि कोई राजनीतिक दल ही राष्ट्रगान या राष्ट्रगीत में अंतर न समझे तो यह हैरानी की बात होती है। ऐसे ही हालात दिखाई दे रहे हैं देश के सबसे पुराने राजनीतिक दलों में शुमार कांग्रेस में, जहां के नेताओं और पदाधिकारी को राष्ट्रगान और राष्ट्रगीत में भी अंतर शायद नहीं पता है इसीलिए वह सार्वजनिक मंचों से राष्ट्रगान की घोषणा कर राष्ट्रगीत को गाना शुरू कर देते हैं।

यह नजारा देखने को मिला दमोह नगर के एक मैरिज गार्डन में मंगलवार को आयोजित हुई कांग्रेस पार्टी की नामांकन सभा में जहां लोकसभा प्रत्याशी तरवर सिंह लोधी के पक्ष में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी सहित कांग्रेस वर्तमान व पूर्व नेता, विधायक, समाजवादी पार्टी नेता सहित सैकड़ो कार्यकर्ता की उपस्थिति में मंच से राष्ट्रगान की घोषणा की गई और जैसे ही सब राष्ट्रगान के सम्मान में सावधान की मुद्रा में आना शुरू हुए मंच पर मौजूद लोगों ने भारत के राष्ट्रगीत को गाना शुरू कर दिया।

जन मन गण के स्थान पर वंदे मातरम

राष्ट्रगान में राष्ट्रगीत गाते कांग्रेस के नेता

दरअसल आमसभा और नामांकन में शामिल होने के लिए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी व अन्य नेता जैसे ही आयोजन स्थल पर पहुंचे वहां पर मंच पर मौजूद मंच संचालक ने सभी से राष्ट्रगान के लिए सावधान होने की घोषणा की। इसके चलते वहां मौजूद पुलिसकर्मी सहित मीडिया कर्मी और दूसरे लोग भी सावधान की मुद्रा में आ गए। लेकिन जैसे ही लोगों ने राष्ट्रगान शुरू हुआ मंच पर मौजूद लोग भारत के राष्ट्रगीत वंदे मातरम को गाना शुरू कर दिया ऐसे में कुछ समय के लिए लोग हैरान भी हुए लेकिन जल्दी यह समझ आ गया कि कांग्रेस पार्टी के नेता राष्ट्रगीत और राष्ट्रगान के अंतर को नहीं समझते हैं और ना इसके संबंध में जानकारी रखते हैं। हैरानी यह भी थी कि इस दौरान किसी भी अन्य नेता ने इसे बदलने या गलती ठीक करने की कोशिश भी नहीं की जिससे यह समझ जा सकता है की राष्ट्रगान या राष्ट्रगीत महज दिखावे के लिए मंच से गया जा रहा था।

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