जन्म से सुनने में अक्षम बालिका को मिली सुनने की शक्ति

शासन की योजना से हुई कोकलियर इंप्लांट सर्जरी

दमोह। किसी परिवार में बच्चे का जन्म परिवार के लिए खुशियां लेकर आता है और  बच्चे की किलकारी सुनने के लिये पूरा परिवार उत्साहित रहता है। यदि ऐसे में परिवार वालों को पता चलता है कि बच्चे को जन्मजात सुनने की समस्या है तो परिवार का दुख समझा जा सकता है। ऐसा ही दुख आया नगर के मागंज वार्ड  01 निवासी सुखदेव रैकवार के परिवार पर जब उन्हें पता चला की उनकी बेटी पैदा होने बाद से ही सुन नहीं पाती थी। चूकि मासूम सुन नहीं पाती थी तो वह बोलने में भी अक्षम हो गई। बेटी के भविष्य के लिए चिंतित अभिभावकों ने डॉक्टरों से मदद की सोची और उसे जिला अस्पताल के डीईआईसी केंद्र में दिखाय जहां ऑडियोलॉजिस्ट एंड स्पीच थैरेपिस्ट संदीप पटैल ने जांच उपरांत जन्मजात बहरापन होने और ऑपरेशन द्वारा इसका इलाज संभव होने की बात कही।

अपने पिता के साथ मासूम

शासन से मिली सौगात से बदली तस्वीर
बीमारी और इलाज सामने आने के बाद अब परिवार को आश थी शासन से कि वह करीब ६ लाख रूपए की इस सर्जरी में मदद करें। इसके चलते प्रशासन व स्वास्थ्य अमला आगे आया और कार्यवाही करते हुए शासन की मु यमंत्री बाल श्रवण योजना के तहत माही को कोकलियर इंप्लांट सर्जरी की गई जिसके लिए उन्हें कोई भी शुल्क नहीं देना पड़ा। मासूम की सर्जरी हुई और कोकलियर इंप्लांट भी हो गया और उसके फलस्वरूप अब बच्ची सुनने में सक्षम हो गई है। वहीं श्रवण शक्ति लौटने के बाद ऑडियोलॉजिस्ट एंड स्पीच थैरेपिस्ट संदीप पटैल बताते है कि मासूम स्पीच थेरेपी की मदद से लगभग 06 महीने में बोलने लगी है। वहीं मासूम के माता पिता अपनी बेटी के मुह से म मी पापा और अन्य शब्द सुनकर खुशी से फूले नहीं समा रहे है और वह सभी के लिए आभार जता रहे है।

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