नौरादेही अभ्यारण्य से बाघ, बाघिन और शावक हो गए लापता

बात को छिपाने प्रबंधन ने दूसरी बाघिन को दिया गुम बाघिन का नाम !

दमोह। नौरादेही अभ्यारण जिसको अब वीरांगना रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व के नाम मिल चुका है लेकिन इसके बाद भी यहां अनियमितताएं कम होने का नाम नहीं ले रही है और अभ्यारण्य से हैरान कर देने बाली जानकारियां सामने आ रही है। बताया जा रहा है कि यहां से बाघ और बाघिन लापता है और शावकों की भी कोई जानकारी अब तक नहीं है। ऐसे में स्तिथियों पर पर्दा डालने के लिए प्रबंधन ने दूसरी बाघिन को गुम बाघिन का नाम दे दिया।अब मामले की शिकायत सामने आई पहुंची तो वन विभाग ने जांच के निर्देश दिए हैं।

वरिष्ठ अधिकारियों को की गई शिकायत

मामला तब सामने आया जब वाइल्ड लाइफ एक्टिविस्ट अजय दुबे ने छह बिंदुओं की शिकायत को फोटो- वीडियो के प्रमाण के साथ वन विभाग के आला अफसरों के सामने रखा। शिकायत में वनों की अवैध कटाई से लेकर संदिग्ध परिस्थितियों में बाघों के गायब होने का आरोप है। शिकायत में दावा किया गया है कि टाइगर रिजर्व में बाघिन N-112 अपने शावकों के साथ और बाघ N- 113 वर्ष 2021 में गायब हो गए। प्रबंधन ने सरकारी रिकॉर्ड में इसका जिक्र तक नहीं किया। इतना ही नहीं बाघिन N-111 को बाघिन N-112 घोषित कर दिया। दोनों बाघिन के फोटो भी शिकायत के साथ भेजे गए हैं। मामले में दोनों की आईडी की जांच की मांग की गई है। बाघों के शिकार की आंशका जताते हुए सीबीआई जांच की मांग की गई है। शिकायत पर अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक समीता राजौरा वाइल्ड लाइफ एक्टिविस्ट अजय दुबे की शिकायत पर वीरांगना रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व सागर के डिप्टी डायरेक्टर से सात दिन में छह बिन्दुओं पर जवाब मांगा है।

कई अन्य आरोप भी आए सामने

इसके अलावा टाइगर रिजर्व में टाइगर सफारी और वन संपत्ति में गंभीर लापरवाही की शिकायत हुई है। शिकायत में यह भी कहा गया है की टाइगर रिजर्व में वन विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत से अंधाधुंध अवैध कटाई हो रही है। टाइगर रिजर्व क्षेत्र के खुले पर्यटन क्षेत्र में भी राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) के नियमों का उल्लंघन हो रहा है। टाइगर रिजर्व के इको-सेंसेटिव जोन में एनओसी के नाम पर स्थानीय स्टाफ घरेलू उद्देश्य के लिए जमीन खरीदने के लिए पैसे मांग रहा है। उन्होंने टाइगर रिजर्व में खाली पदों को भरने का भी मुद्दा उठाया है। आरोप यह भी है कि पूरे मामले में सभी स्तर मिलीभगत हुई है और टाइगर सफारी का संचालन नियमविरुद्ध और मनमर्जी से किया जा रहा है। टाइगर रिजर्व में शाकाहारी जीवों की संख्या कम होने और विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी के कारण बाघ और बाघिन खतरे में है।

2021 में तारादेही में नजर आया था एन-113

बताया जा रहा है कि बाघ एन -113 बीते तीन साल से लापता है इसके साथ ही बाघिन एन-112 भी और उसके शावक भी लापता हैं इसके भी आज तक टाइगर रिजर्व के प्रबंधन ने आवश्यक कदम नहीं उठाए ना यह ध्यान दिया कि आखिर बाघ बाघिन और शावक टाइगर रिजर्व से कहा लापता हो गए ना ही उनकी इन वर्षों में तलाश की गई। बाघ को आखिरी बार वर्ष 2021 में ठंड के दिनों में तारादेही के पास सड़क पार करते हुए ग्रामीणों ने देखा भी था ऐसे में अब जानकारों का मानना है कि बाघ एन-113 टाइगर रिजर्व बाहर कहीं चला गया है या फिर उसका शिकार हो गया है।

कुछ वर्ष पूर्व बड़ा था कुनवा

जब टाइगर रिजर्व नौरादेही अभ्यारण्य हुआ करता था तब कान्हा से लाई गई पहली बाघिन राधा ने मई 2019 मे तीन शावकों को जन्म दिया था इनमें से दो बाघिन व एक बाघ था जिसमें बाघिन एन-111 बाघिन एन -112 और बाघिन एन-113 शामिल हैं लेकिन टाइगर रिजर्व से 2021 से बाघ एन -113 और 2022 से बाघिन एन-112 टाइगर रिजर्व से अपने शावकों के साथ लापता हैं जो आज तक टाइगर रिजर्व में नहीं देखी गई है और बाघिन राधा के तीनों शावकों की उम्र अब 6 साल हो चुकी है।

ना मॉनिटरिंग हुई ना पहनाई आईडी

नौरादेही अभ्यारण्य से टाइगर रिजर्व बने इस अभ्यारण्य को एक साल होने को है लेकिन यहां पर बाघों की सुरक्षा पर भी सवाल खड़े होते हैं। यहां कोई भी बाघ की मॉनिटरिंग नहीं होती। नये शावकों की टाइगर आईडी नही बनाई जाती, यहा के आधे से ज्यादा बाघ लापता हैं, बाघों की जानकारी देने से अधिकारी बचते हैं, स्वयं का विटनरी डॉक्टर नही है इलाज के अभाव में वन्यजीवों की मौत हो जाती है लेकिन सभी बातों को दबा दिया जाता है और जवाबदेही से भी पल्ला झाड़ लिया जाता है। आरोपों के जांच नौरादेही के डीएफओ डॉअब्दुल अंसारी द्वारा की जानी है लेकिन वह संपर्क की स्तिथि में नहीं है। इन्ही।आरोपों को लेकर उपवनमडल अधिकारी नौरादेही डेविड व्यंकराव से बात की तो उन्होंने उसे समय पूर्व ही पदभार लेने और मामला संज्ञान में ना होनेकी बात कही।

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