पूर्व विधायक रामबाई के पति सहित देवर,भाई और भतीजे भी दोषी
वर्तमान हटा जनपद अध्यक्ष को भी न्यायालय ने माना हत्या का दोषी

दमोह। जिले के हटा थाना क्षेत्र में मार्च 2019 में बसपा सहित कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रहे देवेंद्र चौरसिया हत्याकांड में शनिवार को अपर सत्र न्यायालय हटा के अपर सत्र न्यायाधीश हटा के अपर सत्र न्यायाधीश सुनील कुमार कौशिक ने अपना फैसला सुनाया । मामले में आरोपी बनाए गए कल 27 लोगों में से 25 लोगों लोगों को न्यायालय ने हत्या का दोषी माना है जिन्हें उम्र कैद की सजा के साथ जमाने से दंडित किया गया है। एक आरोपी को पुलिस ने आरोपों से बरी किया है और एक आरोपी अभी भी फरार है।
मामले में पीड़ित और आरोपी राजनीतिक और चर्चित चेहरे होने के चलते के फैसले को लेकर शनिवार को न्यायालय परिसर में सारे दिन गहमा गहमी का माहौल देखा गया और फैसले को सुनाने के लिए लोगों की भीड़ वहां पर देखी गई। एहतियात के तौर पर पुलिस ने यातयात को भी कुछ समय के लिए बदला था।
यह रहा न्यायालय का फैसला
हत्या के इस मामले में न्यायालय ने अपना फैसला सुनते हुए मामले में 25 आरोपियों को हत्या सहित घातक हथियारों से उपद्रव, सहित घातक हथियारों से जानबूझकर चोट पहुंचाने का दोषी माना है। सभी दोषियों को उक्त अपराधों में आईपीसी की धारा 302/149 में आजीवन कारावास के साथ 10 हज़ार रुपए अर्थदंड की सजा, धारा 323/149 आईपीसी में एक एक वर्ष का कारावास एवं पांच पांच सौ रुपए जुर्माना एवं आईपीसी की धारा 148 में तीन तीन वर्ष का कारावास सहित एक एक हज़ार रुपए अर्थ दंड की सजा से दंडित किया गया है और यह सभी सजाएं एक साथ पूरी कराए जाने का आदेश दिया गया है। वर्तमान में मामले के आरोपीगण केंद्रीय कारागार सागर, जबलपुर, उप जेल हटा में बंदी है।
न्यायालय ने इन्हें पाया दोषी
न्यायालय के फैसले में आरोपियों में शामिल पथरिया से पूर्व विधायक रामबाई सिंह परिहार के पति गोविंद सिंह परिहार, उनके देवर कौशलेंद्र परिहार उर्फ चंदू, पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष शिवचरण पटेल के पुत्र और हटा जनपद के वर्तमान अध्यक्ष इंद्रपाल पटेल सहित राजा डॉन, बलवीर ठाकुर, अनीस खान, मोनू तंतुवाय, अनीश पठान, अमजद पठान, श्रीराम शर्मा, लोकेश पटेल, सोहेल पठान, शाहरुख खान, भान सिंह, आकाश परिहार, संदीप सिंह तोमर, खूबचंद उर्फ़ नन्ना, विक्रम सिंह, सुखेंद्र आठ्या, मजहर खान, किशन परिहार, सोहेल खान, फुकुलु परिहार, शैलेंद्र तोमर को दोषी न्यायालय ने माना है। उक्त आरोपियों में पूर्व पथरिया विधायक का भतीजा और भाई शामिल है। इसके अलावा एक आरोपी विकास पटेल को न्यायालय ने दोष मुक्त किया है।मामले में पुलिस की ओर से एक आरोपी त्रिलोक सिंह अभी भी पुलिस गिरफ्त से बाहर है।
उल्लेखनीय यह भी है कि दोषी पाए गए गोविंद सिंह और कौशलेंद्र सिंह उर्फ चंदू पर पूर्व में भी 17 आपराधिक मामले पंजीबद्ध है जिसमें हत्या के तीन मामलों में हाई कोर्ट से सजा भी हो चुकी है।
घटना से फैसले तक ऐसा रहा घटनाक्रम
उल्लेखनीय है कि हटा थाना क्षेत्र अंतर्गत 15 मार्च 2019 की दोपहर करीब 10 बजे कांग्रेस नेता देवेंद्र चौरसिया अपने भाई महेश चौरसिया, पुत्र सोमेश चौरसिया, अनिमेष चौरसिया सहित परिवार के एक अन्य सदस्य अशोक चौरसिया के साथ धोलिया खेड़ा ग्राम स्थित उनके डामर का प्लांट को प्रतिदिन की तरह गए थे। जब वह सभी प्लांट कार्यालय का दरवाजा खोल रहे थे, तभी काले-सफेद रंग की कारें, लाल रंग की जीप और चार बाइक से वहां आरोपी पहुंचे और लाठी और रॉड से हमला उनपर कर दिया। इस दौरान उन पर प्राणघातक हमले किए गए और प्लांट में मौजूद अन्य लोगों के वहां पहुंचने पर सभी आरोपी वहां से भाग गए।
घटना के बाद प्लांट पर मौजूद लोग हमले में घायल हुए लोगों को लेकर हटा अस्पताल पहुंचे जहां से गंभीर हालात के चलते उन्हें जिला अस्पताल रेफर किया गया और जिला अस्पताल में इलाज के दौरान देवेंद्र चौरसिया की मौत हो गई। घटना की रिपोर्ट पर पुलिस ने आरोपियों पर आईपीसी की धारा 302, 149, 323, 294, 307, 147, 148, 149, 506 के तहत प्रकरण दर्ज किया था।
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश में जुड़ा एक नाम
मामले की विवेचना के दौरान तत्कालीन पथरिया विधायक रामबाई के पति गोविंद सिंह का नाम हटा थाना पुलिस ने आरोपियों से हटा दिया था। इसके चलते मृतक देवेंद्र चौरसिया के परिजनों ने सुप्रीम कोर्ट के याचिका दायर की जहां न्यायालय आदेश पर गठित एसआईटी ने गोविंद सिंह को आरोपी बनाया और गिरफ्तारी के लिए गठित विशेष टीम ने भिंड से उन्हें गिरफ्तार किया और 22 मार्च 2020 को उसे न्यायालय में पेश किया जहां से अन्य आरोपियों की तरह उन्हें जेल भेज दिया गया।
न्यायालय की भूमिका रही महत्वपूर्ण
इस पूरे मामले में आरोपियों के नाम जुड़ने से लेकर शनिवार को सुनाए गए फैसले तक न्यायालय की एक महत्वपूर्ण भूमिका सामने आई है जो भारतीय न्याय व्यवस्था में एक अभूतपूर्व उदाहरण पेश करती है। न्यायालय में सुनवाई के दौरान कई बार ऐसी परिस्थितियां सामने आई जो मामले को लगातार चर्चा में बनाए रहीं।
बताया जाता है कि हाईप्रोफाइल मामले के चलते न्यायालय में करीब 1 वर्ष तक गवाही में अड़चनें आती रहे। ऐसे में मामले की सुनवाई के दौरान तत्कालीन अपर सत्र न्यायाधीश आरपी सोनकर ने सुनवाई की तारीखों पर कुछ आरोपियों के जिला अस्पताल में भर्ती हो जाने, वीडियो कांफ्रेंसिंग की लिंक फेल होने सहित आदेश के बाबजूद कुछ आरोपितों को जिला जेल से हटा उप जेल न भेजे जाने की स्थिति पाते हुए इसे न्यायालय की अवहेलना मानते हुए कड़ा रुख अपनाया था। इसके चलते न्यायालय ने तत्कालीन मेडिकल ऑफीसर और सीएमएचओ, दूर संचार विभाग के अधिकारिओं को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था और साथ ही व्यवस्थाओं को सुनिश्चित करने के निर्देश दिए थे जिसके बाद संबंधित विभागों ने आवश्यक व्यवस्थाएं सुनिश्चित कर गवाहियां प्रारंभ करवाई थी।
वहीं इसी दौरान तत्कालीन न्यायधीश श्री सोनकर द्वारा वरिष्ठ न्यायालयों को पत्र लिखकर उनपर मिथ्या आरोप लगाकर प्रकरण को अंतरित करने और पुलिस अधिकारियों द्वारा न्यायालय पर दबाव बनाने की मंशा से मनगढ़ंत आरोप लगाने की बात भी कही थी और ऐसे हालातों के चलते जिला एवं सत्र न्यायाधीश से मामला अंतरित किए जाने तक का निवेदन किया था। इस दौरान पुलिस अधिकारियों में तत्कालीन पुलिस अधीक्षक हेमंत चौहान, तत्कालीन अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक शिवकुमार सिंह सहित तत्कालीन हटा एसडीओपी भावना दांगी का नाम सामने आया था, हालाकि इसपर उनकी ओर से कोई भी टिप्पणी सामने नहीं आई थी।
इसी मामले के दौरान मृतक देवेंद्र चौरसिया के पुत्र सोमेश चौरसिया द्वारा उच्च न्यायालय में दाखिल एक याचिका पर उच्च न्यायालय के न्यायधीश सुबोध अभ्यंकर की न्याय पीठ ने 11 अक्टूबर 2019 को उपरोक्त मामले के बंदियों को दमोह से अन्य जेल स्थानांतरित किए जाने की प्रारंभ हुई कार्यवाही पर यह निर्देश दिए थे कि न्यायालय जेल प्रबंधन व राज्य सरकार से अपेक्षा करता है कि उपरोक्त मामले के बंदियों को अधिकतम छह सप्ताह या उससे पूर्व जेल स्थानांतरित करने की कार्रवाई पूर्ण करें।
इसी मामले में पीड़ित पक्ष की सुरक्षा को लेकर जनवरी 2024 मेव सुप्रीम कोर्ट ने प्रदेश सरकार सहित डीजीपी और एसपी को निर्देश देते हुए मृतक के परिजनों को 24 घंटे के भीतर सुरक्षा प्रदान करने का आदेश दिया है। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश सूर्यकांत व केवी विश्वनाथन की बेंच ने सोमेश एवं उसके परिजनों को पुलिस सुरक्षा मुहैया न कराए जाने की बात को लेकर मध्यप्रदेश पुलिस को आड़े हाथों लेते हुए आश्चर्य जताया है। इस दौरान बेंच ने यह तक टिप्पणी की थी कि मध्य प्रदेश पुलिस राजनीतिक गुंडों व राजनीतिक डकैतों को तो सुरक्षा देने का काम कर रही है, लेकिन हत्याकांड के पीड़ित परिवार को बाहुबलियों से सुरक्षा दिलाने सक्रिय नहीं दिख रही है।
पार्टी बदलने और अविश्वास प्रस्ताव की दुश्मनी
इस चर्चित हत्याकांड में 5 वर्ष बाद न्यायालय का फैसला सामने आ चुका है लेकिन जिस रंजिश के पीछे यह घटना होना सामने आती है उसमें राजनीतिक विरोध सबसे बड़ा पहलू है। बताया जाता है कि देवेंद्र चौरसिया दमोह के बहुजन समाज पार्टी के पुराने नेता रहे थे, वे दमोह से कई बार चुनाव भी लड़े थे और उनके भाई की पत्नी घटन के समय जिला पंचायत सदस्य भी रहीं। 30 जनवरी 2019 को तत्कालीन दमोह जिला पंचायत अध्यक्ष शिवचरण पटेल के खिलाफ एक अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था और इस प्रस्ताव को लाने वाले 9 जिला पंचायत सदस्यों में मृतक देवेंद्र चौरसिया के भाई की पत्नी भी शामिल थी और उसमें देवेंद्र चौरसिया की महत्वपूर्ण भूमिका रही, जिसके चलते यह रंजिश प्रारंभ हुई। कहा जाता है कि दौरान आरोपियों ने उन्हें अविश्वास से पीछे हटने के लिए धमकाया भी था। वहीं इसके बाद लंबे समय से बसपा में रहे और 2004 में बसपा से विधानसभा का चुनाव भी लड़े। लेकिन विवाद के दौरान ही देवेंद्र चौरसिया ने 12 मार्च को कांग्रेस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ की मौजूदगी में कांग्रेस ज्वाइन कर ली जिससे दुश्मनी गहरी हो गई और इसके महज 3 दिन बाद उनकी हत्या हो गई।