साइबर सेल को सूचना मिलने पर बच गई ठगी
दमोह। जिले में डिजिटल अरेस्ट का पहला मामला शनिवार को सामने आया है। जब एक लैब टेक्नीशियन उसमें फंस गया। हालांकि दमोह साइबर सेल टीम की सजगता ने कर्मचारी को धोखाधड़ी का शिकार होने से बचा लिया और उसके दो लाख रुपए भी बच गए।
फर्जी आपराधिक मामलों का दिखाया डर
जानकारी अनुसार जिला अस्पताल के ब्लड बैंक में लैब टेक्नीशियन के पद पर काम करने वाले अनुपम खरे को शनिवार सुबह करीब 8:30 बजे एक कंप्यूटराइज कॉल आया। इस कॉल पर बात करने पर सामने आया कि उनके विरुद्ध मामला दर्ज होने के चलते उक्त सिम को बंद किया जा रहा है। इस दौरान उन्हें सिस्टम के जरिए कॉल सेंटर से जोड़ते हुए आगे जानकारी दी गई कि मुंबई तिलक नगर पुलिस स्टेशन पर इनपर 17 एफआईआर पॉर्न वीडियो और मनी लांड्रिंग जैसे मामलों में दर्ज है और सिम निकालने के लिए उनका आधार कार्ड उपयोग में लाया गया है।
नकली पुलिस से भी कराई बात
जालसाजों की जालसाजी यही नहीं थमी उनके द्वारा शासकीय कर्मचारी को मामला दर्ज होने का भरोसा दिलाने और डर को और बढ़ाने के लिए बाकायदा फर्जी पुलिस से बात भी कराई गई। साइबर ठगो ने उन्हें यह जानकारी दी कि वह अपनी शिकायत तिलक नगर पुलिस स्टेशन में जाकर कीजिए और इस दौरान उनकी बात भी बाकायदा एक अन्य नंबर पर मुंबई तिलक नगर पुलिस स्टेशन बताते हुए ट्रांसफर कर दी गई। उसके बाद उन्हें डिजिटल अरेस्ट करते हुए वीडियो कॉल पर बात शुरू की गई। इस दौरान पीड़ित के सामने मुंबई तिलक स्टेशन का बोर्ड, पुलिस की वर्दी पहने लोग पूछताछ करते रहे और बातों ही बातों में उनसे मामला सुलझाने के एवज में 2 लाख रुपए की मांग कर दी गई। पीड़ित से कहा गया कि आपके खिलाफ 17 मनी लांड्रिंग के केस दर्ज हैं और आपको अरेस्ट किया जाता है। जब तक मुंबई पुलिस आपको वहां जाकर गिरफ्तार नहीं कर लेती आप इसी तरह खुद को कमरे में बंद रखेंगे। इस दौरान उसके पास एक फोटो भी भेजी और बताया कि यह दिनेश गोयका है, जो मनी लांड्रिंग केस में गिरफ्तार हुआ है और इसने आपका नाम भी बताया है। पुलिस पूछताछ के नाम पर पीड़ित को खुद को कमरे में बंद करने की बात कह दी गई जिसके चलते पीड़ित ने खुद को कमरे में बंद भी कर लिया।
करने वाले थे 2 लाख ट्रांसफर
डिजिटल अरेस्ट के दौरान पीड़ित के नाम क्रेडिट कार्ड और आधार कार्ड होने के साथ उन पर दबाव बनाया जाने लगा और उनका अकाउंट नंबर पूछा गया और फिर 2 लाख मांगे गए। सामने पुलिस को देखकर और किसी बड़े मामले में खुद को फंसता देखकर घबराए पीड़ित 2 लाख ट्रांसफर करने के लिए तैयार हो चुका था लेकिन उनकी किस्मत से इसी दौरान साइबर सेल की टीम उनके घर पहुंच गई और उन्हें साइबर फ्रॉड होने की जानकारी देते हुए भरोसे में लिया जिसके चलते वह डिजिटल अरेस्ट से मुक्त हुआ और संभावित ठगी से भी बच गया।
समय पर जानकारी मिलने से पहुंची टीम
मामले के संबंध में साइबर सेल टीम प्रभारी अमित गौतम ने बताया कि ब्लड टेस्ट करने के लिए उन्होंने जिला अस्पताल के कर्मचारी अमित अठ्या से संपर्क किया था। जब वह ऑफिस आया था तो मैंने उसे डिजिटल अरेस्ट, साइबर फ्रॉड की जानकारी देकर कुछ पंपलेट भी बताए थे। शनिवार सुबह जिला अस्पताल के लैब टेक्नीशियन अनुपम खरे के साथ ही ऐसा ही फ्रॉड हो रहा था। अनुपम के परिजनों ने उसके सहकर्मी अमित को इस बात की जानकारी दी। अमित को संदेह हुआ कि ये डिजिटल अरेस्ट है और उसने तत्काल मुझे इसकी सूचना दे दी। मैंने तत्काल अपने एसपी श्रुतकीर्ति सोमवंशी को इसकी जानकारी दी और उनके निर्देश के बाद में बगैर देरी किए टीम के साथ जबलपुर नाका चौकी प्रभारी आनंद अहिरवार को लेकर पीड़ित के घर वैशाली नगर पहुंच गया। वहां देखा तो दरवाजा बंद करके वह अपने कमरे में किसी से बात कर रहा था। हमने खिड़की से उससे बात की ओर से भरोसा दिलाया कि उसके साथ फ्रॉड हो रहा है। तब जाकर उसने हमारी बात मानी और वह बाहर आ गया। उसने बताया कि वह पैसे ट्रांसफर करने ही वाला था। हमें समय से जानकारी मिली इसलिए उसे बचा लिया गया।