चर्चित फर्जी डॉक्टर के इलाज और मौतों के मामले में आज आयेगी मानवाधिकार आयोग की टीम

5 पीड़ित परिवारों को अपना पक्ष रखने के लिए जारी किया गया पत्र

दमोह। नगर के चर्चित मिशन अस्पताल में फर्जी डॉक्टर द्वारा कार्डियोलॉजिस्ट बनाकर मरीजों का इलाज किए जाने और मरीजों की मौत के बाद आज राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग की टीम मामले की जांच के लिए पहुंचेगी और पीड़ित परिवारों के बयानों को दर्ज कर अन्य बिंदुओं पर भी जांच करेगी। दूसरी ओर इस मामले में प्रशासन की भूमिका पर भी सवाल उठाते नजर आ रहे हैं क्योंकि फरवरी माह में पीड़ित परिवारों की ओर से दर्ज कराई गई शिकायत जांचऔर प्रतिवेदन के बाद कार्यवाही के इंतजार में अटकी रही और जब इसकी शिकायत राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग तक पहुंची तब इस मामले में गंभीरता दिखाई।गई।

अब तक सामने आए 5 नाम

प्रारंभिक जानकारी में मिशन अस्पताल में जनवरी और फरवरी माह में कार्डियोलॉजिस्ट के रूप में इलाज करने वाले डॉ नरेंद्र यादव उर्फ एन केम जोन के द्वारा 15 से अधिक मरीजों का इलाज किए जाने की बात सामने आ रही है और इसमें 7 मरीजों की मौत होने के आरोप लगे है। मामले को लेकर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी द्वारा 5 पीड़ित परिवारों को चिन्हित किया गया है जिनके लिए आयोग की टीम के समक्ष उपस्थित होकर अपना पक्ष रखने के लिए पत्र जारी किया गया है। सीएमएचओ द्वारा जिन पीड़ित परिवारों को पत्र जारी किया गया है उसमें सत्येन्द्र सिंह पिता हामिर सिंह राठौर निवासी ग्राम लाडनबाग हथना दमोह, श्रीमति रईशा बेगम पति यूसुफ खान निवासी पुराना बाजार नंबर 2 दमोह, इजराइल खान निवासी डॉ. पसारी के पास दमोह, बुद्या पिता मुलु अहिरवाल निवासी ग्राम बरतलाई थाना पटेरा, मंगलसींग पिता गजेन्द्र सींग राजपूत निवासी ग्राम बरतलाई थाना पटेरा शामिल है। इन सभी के परिजनों को आयोग की संयुक्त टीम के समक्ष उपस्थित होकर अपना पक्ष रखने के निर्देश दिए गए है।

दो दिन पक्ष सुनेगी टीम

लापरवाही के बड़े मामले में मानव अधिकार आयोग की टीम कई महत्वपूर्ण बिंदुओं पर जांच करेगी। इसके लिए टीम 8 और 9 अप्रैल को नगर के सर्किट हाउस स्थित गेस्ट हाउस में पीड़ित परिवारों का पक्ष सुनेगी। इसके अलावा आयोग द्वारा की जाने बाली जांच के बिंदुओं में कई अन्य बिंदु भी शामिल किए हैं। इसमें मिशन अस्पताल की मान्यता की तिथि, पदस्थ डॉक्टरों की जानकारी, नियुक्ति करने वाले का नाम और अस्पताल को प्रधानमंत्री आयुष्मान योजना के तहत किए गए भुगतानों की जानकारी शामिल है।

मामले में होती रही लापरवाही

इस मामले में जिस तरह की स्थितियां सामने आई है उसमें अस्पताल प्रबंधन के साथ स्थानीय प्रशासन की भी गंभीर लापरवाहियां दिखाई देती है। आयुष्मान योजना से दिल के मरीजों का इलाज करने के नाम पर मिशन अस्पताल प्रबंधन ने जिस संदिग्ध डॉक्टर की नियुक्ति की थी उसे एजेंसी के द्वारा हायर किया जाना बताया जा रहा है। लेकिन किसी भी हायर किए गए डॉक्टर की नियुक्ति के दौरान उसका बैकग्राउंड, उसकी योग्यता और उसके पेशे से जुड़े दस्तावेजों की जांच ना करना हैरानी पैदा करता है। दूसरी ओर इस मामले में पहली शिकायत 20 फरवरी को कलेक्टर के पास की गई थी। कलेक्टर के आदेश पर सीएमएचओ ने 7 मार्च तक जांच करके प्रतिवेदन भी कलेक्टर को भेजा लेकिन कोई कार्यवाही प्रस्तावित नहीं हो सकी। शिकायत सामने आने के बाद आरोपी डॉक्टर भी भागने में सफल हो गया। मामला ठंडे बस्ते में जाता देख अधिवक्ता दीपक तिवारी द्वारा जब इसकी शिकायत राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग को की और आयोग के सदस्य प्रियंका कानूनगो के संज्ञान में आने और निर्देशों पर जांच कार्यवाही आगे बढ़ाई गई ।

आरोपी डॉक्टर के अपराधिक रिकॉर्ड

दूसरी ओर इस पूरे मामले में संदिग्ध और फर्जी बताए जा रहे आरोपी डॉक्टर नरेंद्र यादव उर्फ एन केम जोन पर पूर्व में भी कई आपराधिक मामले दर्ज होना सामने आ रहा है। आरोपी डॉक्टर के आधार कार्ड के अनुसार उसका नाम नरेंद्र जॉन केम है और उसके पिता का नाम अमरेंद्र कुमार है जो उत्तराखंड के देहरादून का निवासी है। दमोह में यह डॉक्टर गुजरात में पंजीकृत वाहन उपयोग कर रहा था। उक्त डाक्टर पर वर्ष 2019 में तेलंगाना के रचकोंडा में ब्राउंडवाल्ड हॉस्पिटल में फर्जीवाड़े के चलते मामला दर्ज कर गिरफ्तारी के प्रयास किए थे। उक्त समय यह उक्त अस्पताल के चेयरमैन के पद पर थे। सामने यह भी आ रहा है कि यह कई निजी और शासकीय संस्थाओं में ईमेल के जरिए अपना बायोडाटा भेज कर संस्थान में घुसने का प्रयास करते थे और कई स्थानों पर चिकित्सा के क्षेत्र में आधुनिक सुविधाएं लाने का झांसा भी देते थे। उक्त डॉक्टर के विजिटिंग कार्ड में भी यह खुदको वरिष्ठ सलाहकार इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट और इलेक्ट्रोफ़िज़ियोलॉजिस्ट और जर्मनी का रहने वाला बताते थे। अब चूंकि मामला 7 मौतों से जुड़ा हुआ है तो आयोग की टीम हर पहलू पर जांच करेगी और यह भी तय है कि यदि अस्पताल प्रबंधन और प्रशासनिक अमले की लापरवाही सामने आती है तो वह भी कार्यवाही की जद में आएंगे।

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