कार्यवाही: गलत इलाज से 7 मौतों के आरोपों में घिरे मिशन अस्पताल का कैथलैब सील

कार्यवाही पर प्रबंधन ने जताया विरोध, ब्लड बैंक की भी की गई जांच

दमोह। फर्जी कार्डियोलॉजिस्ट के इलाज से 7 मरीजों की मौतों के आरोपों से चर्चा में आए नगर के मिशन अस्पताल में घटना के बाद गुरुवार को पहले कार्यवाही की गई। शासन के आदेश पर स्वास्थ्य विशेषज्ञों और राजस्व अमले ने पुलिस की मौजूदगी में अस्पताल की कैथलैब को सील किया। इस दौरान टीम ने अस्पताल में मौजूद ब्लड बैंक की भी जांच की जिस पर रिपोर्ट वरिष्ठ अधिकारियों को सौंपी जाएगी।

साक्ष्य स्थल है कैथलैब

दरअसल मिशन अस्पताल में फर्जी कार्डियोलॉजिस्ट बताए जा रहे नरेंद्र यादव उर्फ एन जोन केम ने यहां पर आने वाले मरीजों का इलाज किया था। ऐसे में अब आगामी समय में यह तय करना है कि संबंधित मरीजों की मौत गलत इलाज से हुई थी या नहीं। इसके चलते अस्पताल की कैटलॉग को सील किए जाने के आदेश दिए गए हैं। आदेशों के परिपालन में दोपहर करीब 4:00 बजे नायब तहसीलदार रघुनंदन चतुर्वेदी, डॉ विक्रांत चौहान, डॉ राजेश नामदेव, डॉ प्रहलाद पटेल, सीएमएचओ कार्यालय से दीपक जैन सहित पुलिस कर्मी पहुंचे और उन्होंने अपनी कार्यवाही शुरू की। इस दौरान अस्पताल स्टाफ और स्टाफ की उपस्तिथि में कैथलैब के तीन दरवाजों को सील किया गया। इस दौरान उक्त कमरों से कुछ आवश्यक उपकरण भी स्टाफ द्वारा बाहर निकल गए। कार्यवाही के दौरान टीम के सदस्यों ने अस्पताल के ब्लड बैंक का भी निरीक्षण किया ।

पैथोलॉजिस्ट प्रभार पर संदेह

ब्लड बैंक की जांच के दौरान यहां पर 6 यूनिट रक्त पाया गया इसके अलावा रक्त संग्रहण के लिए सुविधाओं को जांच टीम ने पाया है और लैब टेक्नीशियन भी होने की बात सामने आई है। हालांकि ब्लड बैंक में पैथोलॉजिस्ट की नियुक्ति पर फिलहाल संदेह है। अस्पताल के अनुसार ब्लड बैंक के पैथोलॉजिस्ट डॉक्टर पीसी स्वर्णकार बताए जा रहे हैं लेकिन उनके द्वारा इसकी पुष्टि नहीं की गई है। ऐसे में अब जांच टीम अपनी जांच रिपोर्ट वरिष्ठ अधिकारियों को देगा इसके बाद आगे की कार्यवाही की जाएगी।

अस्पताल प्रबंधन ने बताया मनमानी

वही इस कार्यवाही के दौरान अस्पताल प्रबंधन इसका विरोध करता नजर आया। अस्पताल की पीआरओ पुष्पा खरे के अनुसार जांच टीम ने मनमानी कार्यवाही की है और कैटलॉग के साथ अस्पताल के कंसोल को भी सील कर दिया है जिसके चलते अस्पताल के एक और कई मशीनों को बंद करना संभव नहीं होगा। उन्होंने यह भी आरोप लगाए कि ऐसे में यदि कोई अपनी स्थिति सामने आती है तो इसकी जिम्मेदारी पंचनामा में हस्ताक्षर करने वाले अधिकारियों की होगी। इसके अलावा उन्होंने कार्यवाही को दुर्भावना के तहत की गई कार्यवाही बताया। वहीं दूसरी ओर जांच टीम के सदस्यों का कहना ताकि उन्हें जो निर्देश मिले थे उसी के अनुसार कार्यवाही की गई है।

प्रबंधन ने कहा आरोपी डॉक्टर थे तुनकमिजाज

इस मामले में अस्पताल प्रबंधन का एक हैरान कर देने वाला बयान सामने आया है। संबंधित आरोपी डॉक्टर के विषय में सीएमएचओ कार्यालय को कोई भी सूचना न दिए जाने के संबंध में जब मिशन अस्पताल की पीआरओ पुष्पा खरे से सवाल पूछा गया तो उनका कहना था की इलाज करने वाले डॉक्टर मूडी ( तुमकमिजाज) थे। वह यहां कब रुकते थे कब नहीं यह तय नहीं था, यहां तक कि उनके द्वारा अपने अनुबंध पत्र पर भी हस्ताक्षर नहीं किए गए थे। प्रबंधन किस तरह के जवानों से आप प्रबंधन की लापरवाही और भी स्पष्ट हो रही है क्योंकि एक डॉक्टर से बगैर अनुबंध किया महज आयुष्मान योजना के अंतर्गत अस्पताल से इलाज करने के लिए उसका सत्यापन कराए बिना मरीजों का इलाज कराया जाता रहा। ऐसे में अब अस्पताल प्रबंधन की भी जिम्मेदारी तय होनी चाहिए कि ऐसे डॉक्टर से इलाज कराया गया जिसके चलते मरीजों की जान खतरे में आ गई।

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