आरईएस के उपयंत्री धरे गए 20 हजार की रिश्वत लेते

दमोह। जिले में शासकीय कार्यालय में व्याप्त भ्रष्टाचार के बीच लोकायुक्त सागर की टीम ने कार्यवाही करते हुए 20 हजार की रिश्वत लेते हुए एक उपयंत्री को रंगे हाथों धर दबोचा है। आरोपी उपयंत्री जनपद दमोह के ग्रामीण यांत्रिकी सेवा में पदस्थ है जिन्होंने ग्राम पंचायत में हुए निर्माण कार्यों के मूल्यांकन के एवज में रिश्वत की मांग की थी।

जानकारी अनुसार जनपद पंचायत दमोह की ग्राम पंचायत बारामासा में किए गए विभिन्न निर्माण कार्यों का मूल्यांकन किया जाना था जिसकी एवज में पंचायत के उपयंत्री राजन सिंह द्वारा पंचायत के सरपंच लीला गौंड से 50 हजार रुपए की मांग रिश्वत के रूप में की जा रही थी। मांगी गई राशि में से 20 हजार की राशि करीब एक माह पूर्व शिकायतकर्ता सरपंच द्वारा दी जा चुकी थी।
दूसरी किस्त के पहले दर्ज हुई शिकायत
रिश्वत की रकम की दूसरी किस्त दिए जाने के पहले आवेदक ने अपनी शिकायत लोकायुक्त सागर में दर्ज कराई शिकायत की पुष्टि उपरांत लोकायुक्त टीम ने अपना जाल बिछाया और मंगलवार की दोपहर आवेदक रिश्वत की रूप में दिए जाने वाली रकम लेकर आरोपी के अभिनव होम्स स्थित निवास पर पहुंचा जहां उसके द्वारा रिश्वत की रकम दी गई। रिश्वत देने के साथ ही लोकायुक्त की टीम ने आरोपी को मौके पर ही धर दबोचा। इसके बाद लोकायुक्त पुलिस ने आवश्यक कार्यवाही उपरांत आरोपी पर भ्रष्टाचार अधिनियम के तहत मामला दर्ज करने की कार्यवाही की है।
भ्रष्टाचार का अड्डा ग्रामीण यांत्रिकी सेवा
ग्रामीण यांत्रिकी सेवा कार्यालय का यह पहला मामला नहीं है, इसके पूर्व भी लोकायुक्त की कार्यवाही में रंगे हाथों कर्मचारी गिरफ्तार हुए हैं। यहां विभागीय कार्यों के निर्माण से लेकर मूल्यांकन और भुगतान तक हर स्तर पर कमीशन बाजी का खेल चलता है। हालात यह हैं की यहां पदस्थ उपयंत्री मूल्यांकन के नाम पर बगैर निर्माण कार्य के ही मूल्यांकन और निर्माण पूर्ण दिखा देते हैं। कई स्थानों पर मूल्यांकन के दौरान सड़कों की लंबाई ही बड़ा कर दिखा दी गई। इस तरह भ्रष्टाचार कर शासन की राशि का बंदर बांट कर लिया जाता है जिसमें उपयंत्री से लेकर अधिकारी राजनीतिक दलों के कार्यकर्ता और जनप्रतिनिधियों की भी हिस्सेदारी होती है।
सुनिए लोकायुक्त टीम के मुखिया को..