रिटायर्ड शिक्षक से पेंशन बहाली के लिए मांगी थी रिश्वत
दमोह। जिले में शासकीय विभागों में रिश्वत की खबरें आम हो रही है और लोकायुक्त कार्यवाही में शासकीय कर्मचारी रंगे हाथों गिरफ्तार भी हो रहे है। इसी तरह का एक मामला शुक्रवार को फिर सामने आया जिसमें जिला शिक्षा विभाग में पेंशन प्रकरणों का कार्य देख रहे प्राथमिक शाला शिक्षक अभिषेक जैन को लोकायुक्तसागर की टीम ने रंगे हाथों धर दबोचा। उनके द्वारा उक्तर कम एक रिटायर्ड शिक्षक के पेंशन प्रकरण को निपटाने और पेंशन प्रारंभ कराने के लिए मांगी गई थी। लेकिन हैरानी की बात यह है कि बाबूगिरी का कार्य करते हुए पेंशन प्रकरण को देख रहा आरोपी प्राथमिक स्कूल में शिक्षक के पद पर पदस्थ है और अधिकारियों की माने तो उसे अधिकृत रूप से इस कार्य के लिए रखा भी नहीं गया था। लेकिन इसके बाद भी पेंशन प्रकरणों को देखना और इस कार्य के लिए रिश्वत की मांग किया जाना शासकीय हालातों की स्थितियों को बताता है।
प्राप्त जानकारी अनुसार हटा नगर निवासी लक्ष्मी पिता जानकी प्रसाद कोरी ३० नबम्वर २०२२ को शासकीय उच्चतर माध्यमिक शाला लुहारी से शिक्षक पद से सेवानिवृत्त हुए थे। सेवानिवृत्ति के बाद उनका पेंशन प्रकरण ब्लाक शिक्षा अधिकारी कार्यालय से तैयार होना था लेकिन किसी तकनीकी खामी के चलते ऐसा संभव नहीं हो सका। इन हालातों के चलते उन्हें इस कार्य के लिए जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में संपर्क करना पड़ा और यहां पर पदस्थ बाबुओं ने कार्य होने के एवज में पैसे देने की बात कही। शुरुआती दौर में मांग १५ हजार रुपए की की गई, लेकिन उसके बाद पेंशन राशि का कुछ हिस्सा आने के चलते रिश्वत की रकम ५ हजार रुपए पर पहुंच गई।
बाबुओं ने की पैसे की बात
शिकायतकर्ता के अनुसार अपने प्रकरण के संबंध में वह सबसे पहले महकमे के बाबू संजीत असाटी से मिले जिनके द्वारा उक्त कार्य भिड़ाबाले प्राथमिक स्कूल में पदस्थ आरोपी अभिषेक जैन द्वारा देखे जाने की जानकारी के साथ पैसे लगने की बात कही गई। इस पर शिकायकर्ता आरोपी से मिला जिसके द्वारा इस कार्य के लिए १५ हजार रुपए मांगे गए। वहीं इस रकम देने में असमर्थता जताने के बाद बातचीत जारी रही और बाद में पेंशन रकम का ६० प्रतिशत हिस्से का प्रकरण हो जाने के बाद ५ हजार रूपए दिए जाने की मांग आरोपी के द्वारा की गई। इन स्थितियों के बाद मामले की शिकायत लोकायुक्तसागर में की गई। लोकायुक्त की टीम में शिकायत की पुष्टी उपरांत अपनी कार्यवाही शुरु की।
कार से रिश्वत लेने आया आरोपी
कार्य करने के एवज में रिश्वत की रकम तय हो जाने के बाद शिकायतकर्ता द्वारा आरोपी को फोन लगाकर ५ हजार रूपए लेने के लिए बुलाया। इस दौरान शिकायतकर्ता कलेक्ट्रेट कार्यालय के बाहर बने टिन शेड में बैठकर उनका इंतजार करने लगा। कुछ देर बाद आरोपी लाल रंग की स्विफ्ट कार क्रमांक एमपी ०९ जेडएस २७५१ से वहां पहुंचा और शिकायतकर्ता को कलेक्ट्रेट के १ नम्बर गेट पर बुलाया और कार के पास बुलाकर उससे रिश्वत की रकम कार के डेस बोर्ड में रखने के लिए कहा और उसके दस्तावेजों को चेक करने लगा। इस दौरान एक दस्तावेज कम होने पर उससे फोटोकॉपी कराकर लाने के लिए कहा गया और जब शिकायतकर्ता फोटोकॉपी के लिए गया लोकायुक्तटीम ने आरोपी को धर दवोचा। कार्यवाही के दौरान निरीक्षक अभिषेक वर्मा, राजेश खेड़े, बीएम द्विवेदी, प्रधान आरक्षक शफीक खान, आरक्षक आशुतोष व्यास, संजीव अग्निहोत्री, विक्रम सिंह, नीलेश पांडे, सुरेन्द्र सिंह की भूमिका रही।
अधिकारियों ने कहा नहीं दिया कार्य
इस मामले में खास बात यह है कि जिस आरोपी को रिश्वत लेते हुए पकड़ा गया है, वह शासकीय शिक्षक के रूप में कार्यरत है और अधिकारियों की माने तो उसे कार्यालय या पेंशन संबंधी कार्य के लिए अधिकृत भी नहीं किया गया था। दरअसल पेंशन प्रकरणों के संबंध में तकनीकी जानकारी होने के चलते इस कार्य में उसकी सेवाएं ली जाती थी और इसके चलते इन कार्यों के लिए अन्य बाबू भी आरोपी को ही जिम्मेदारी सौंप देते थे। इन सभी बातों को फायदा उठाते हुए आरोपी अपने कार्य की रिश्वत भी ले लेता था। वहीं लोकायुक्त कार्यवाही के बाद आरोपी पर विभागीय कार्यवाही क्या होगी यह फिलहाल स्पष्ट नहीं है। इस संबंध में जिला शिक्षा अधिकारी एसके नेमा से चर्चा किए जाने पर उनका कहना था कि लोकायुक्त कार्यवाही के बाद जो भी निर्देश आएगें उस अनुसार कार्यवाही की जाएगी और फिलहाल हो सकता है कि आरोपी को किसी अन्य शाला में अटैच कर दिया जाए।