जंगली जानवरों का कुनबा सैलानियों के लिए होगा आकर्षक
तेन्दूखेड़ा। वर्ष 1975 में स्थापित प्राकृतिक संसाधनों से परिपूर्ण धने जंगलों में कलकल बहती नदियां व पोखर और इन सबके बीच अठखेलियाँ करते हुए वन्यजीवों के कारण नौरादेही पहले ही देश में अपनी एक अलग पहचान बना चुका है l। नौरादेही अभ्यारण्य में बाघों के बाद बढ़ती हुई बाघों की संख्याओं से एक नई उम्मीद जगा दी है यहां पर हजारों वन्य जीवों की संख्या बढ़ने के साथ ही एक बार फिर से चीता प्रोजेक्ट पर उम्मीद जताई जा रही है जिसकी तैयारी बारिश के बाद हो सकती है।एक सकारात्मक खबर यह भी है कि नौरादेही अभ्यारण्य में तेंदुआ और भालूओं की संख्या में भी बढोत्तरी हुई है अभ्यारण्य में इस समय बाघों के परिवार से गुलजार हो रहा है तो वही यहां तेंदुओं और भालूओं की संख्या में भी लगातार इजाफा होता जा रहा है । यहां दो दर्जन से भी अधिक तेंदुए और 50 से ज्यादा भालू आज नौरादेही अभ्यारण्य में अपना बसेरा बनाए हुए हैं हालांकि यहां पिछले चार सालों से बाघों के आने के कारण इन्होंने अपना ठिकाना जरूर बदल लिया है अब यह तेंदुए गुफा के अंदर या पेड़ों की डालियों पर बैठे रहते हैं
पेड़ और गुफा बने ठिकाना
अभ्यारण्य के अंतर्गत आने वाली रेंजों में भारी भरकम पेड़ लगे हुए हैं और नौरादेही के विस्थापित गांव में बड़ी बड़ी गुफाएं बनी है यही गुफाएं और पेड़ तेंदूओ का मुख्य निवास स्थल है तेंदुआ एक ऐसा जानवर है जो पेड़ों पर भी रह लेता है इसलिए नौरादेही अभ्यारण्य में तेंदुए का अभी तक कोई स्पष्ट ठिकाना नहीं है कि वह कब कहा रहता है।अधिकारियों की मानें तो तेंदूआ अधिकांश समय गुफा में रहता है साथ ही पेड़ों की डालियों पर भी अपना बसेरा बना लेता है वर्तमान में नौरादेही अभ्यारण्य में बाघ किशन की मौत के बाद 15 बाघों की मौजूदगी के साथ यहां पर 25से 30 तेंदुए अपना बसेरा बनाए हुए हैं क्योंकि तेंदूआ बाघों से डरते हैं इसलिए वह बाघों की उपस्थिति से दूर कहीं अपना आशियाना जंगल में तलाश कर लेते हैं।अधिकारियों ने बताया कि यहां उनके बच्चे भी कई बार अपने माता पिता के साथ देखे गए हैं। तेंदुआ सबसे ज्यादा शिकार चीतल का करता है इसके अलावा मवेशियों के छोटे बच्चों का शिकार भी उसे पसंद है अधिकारियों का कहना है कि तेंदूआ बड़े जानवर या मवेशियों का शिकार नहीं कर पाता इसलिए वह हमेशा अपने शिकार के लिए छोटे जानवरों को खोजता है शिकार करने के बाद भोजन को लेकर वह पेड़ पर चढ़ जाता है या फिर गुफा में घुस जाता है
संख्या बढ़ने से मिला लैपर्ड स्टेट का दर्जा
अभ्यारण्य में तेंदुओं की संख्या बढ़ रही है पिछले एक दशक में इसकी संख्या लगभग दोगुनी हो गई है जहां वर्ष 2010-11में 10 से 12 तेंदुए ही नौरादेही अभ्यारण्य में दिखाई देते थे लेकिन अब 25से 30 इनकी संख्या बताई जा रही है और अभ्यारण्य अन्य जीवों की तरह तेंदुओं का भी बसेरा बन चुका है इसके साथ ही यहां इन दिनों भालुओं का कुनबा सबसे ज्यादा दिखाई दे रहा है। बारिश में घने जंगल में गशी कर रहे वनकर्मियों को इस हरे भरे अभ्यारण्य क्षेत्र में भालू आए दिन सामने आ रहे जिसमें भालु मादा अपने बच्चों के साथ देखे जा रहे है अभी अभ्यारण्य क्षेत्र में 50 से ज्यादा भालुओं का होना बताया जा रहा है। एसडीओ श्री मलिक ने बताया कि अभी नौरादेही अभ्यारण्य में 25 सेअधिक तेंदुए के साथ 50 से ज्यादा भालुओं की संख्या में इनके साथ बच्चे भी देखे जा चुकी है पेड़ों को भालुओं के निशान बने हुए हैं
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निगरानी के लिए लगाए गए कैमरे
नौरादेही अभ्यारण्य में बाघ बाघिन और उनके शावकों की निगरानी के लिए ट्रैकर कैमरे लगाए गए हैं हर 15 दिन में इनके फुटेज देखे जाते हैं अभ्यारण्य में तेंदुए और भालूओं के इनके बच्चों के साथ अलग अलग जगह कई बार देखे गए हैं इनके फुटमार्क भी मिले हैं। इसके अलावा यहां भेड़िया नीलगाय चिंकारा चीतल सांंभर हिरण सहित अन्य जानवरों की भी संख्याओं में बढ़ोत्तरी हुई है तो इसी तरह भेड़ियों की संख्या में सबसे ज्यादा बताई जाती है।ऐसा माना जाता है कि प्राकृतिक और भौगोलिक कारणों से भेड़ियों का प्राकृतिक आवास है एक समय था जब इस इलाके में भेड़ियों की सबसे बड़ी संख्या मौजूद थी इसी कारण अभ्यारण्य को भेड़ियों का आवास का दर्जा दिया गया है।
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तेंदूखेड़ा से विशाल रजक