लंबे समय तक संचालित हो रही फैक्ट्री, लेकिन पुलिस प्रशासन को नहीं थी भनक, अब दिए गए मजिस्ट्रियल जांच के आदेश
दमोह। कोतवाली थाना क्षेत्र के बड़ा पुल के समीप मंगलवार दोपहर तंग गलियों में अवैध रूप से एक घर के अंदर संचालित की जा रही अवैध फटाखा फैक्ट्री में एक बड़े धमाके के साथ मकान घ्वस्त हो गया। घटना में उक्त फैक्ट्री के संचालक बताए जा रहे व्यक्ति सहित तीन लोगों की मौत हो गई और ११ अन्य लोग घायल हो गए। मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों ने मौका स्थल पर मुआयना किया है और मामले में मजिस्ट्रियल जांच के आदेश भी देते हुए मामले में लापरवाही पाए जाने पर कार्यवाही की बात कही जा रही है, लेकिन शहर के बीचो बीच इस तरह से एक फटाखा फैक्ट्री लंबे समय से संचालित होना और पुलिस प्रशासन को सकी कानो कान खबर ना होने की बात सामने आना, एक बड़ी लापरवाही, चूक या मिलीभगत को स्पष्ट करता है।
एक विस्फोट से उड़ा घर का मलबा
जानकारी अनुसार बड़े पुल क्षेत्र में तंग गलियों के बीच बने मकान में मंगलवार दोपहर एक बड़ा धमाका हुआ और मकान का मलबा धरासायी हो गया। धमाके से सहमे लोगों द्वारा किसी बड़ी घटना का अंदेशा जताते हुए तत्काल इसकी सूचना पुलिस को दी जिसके बाद मौके पर पहुंची टीम ने स्थितियों को समझा तो धमाका बारूद से होना और मलबे के नीचे लोगों के दबे होने की स्थिति सामने आई। तत्काल ही पुलिस के साथ एसडीआरएफ और नपा की टीम एक्शन में आई और मौके पर फायर ब्रिगेड और एम्बूलेंस को तेजी से भेजा गया। इस दौरान घर में रखे बारूद व फटाखे को पानी से शांत करते हुए मलबे को हटाना शुरु किया जिसके बाद मलबे में फसे लोगों को अस्पताल पहुचाया। इस दौरान मलबे से एक क्षत विक्षत शव भी निकला जिसके कई अंग गायब थे। जिला अस्पताल पहुंचने बाले लोगों में भी दो लोगों की मौत की पुष्टी डॉक्टरों द्वारा की गई जिसके बाद घटना में तीन मौते और ११ लोगों के घायल होने का आधिकारिक आंकड़ा सामने आया है। इनमे से 4 गंभीर घायलों को जबलपुर रैफर किया गया है।
मलबे में मिलते रहे शव के अंग
अवैध फैक्ट्री के चलते यहां कौन कार्यरत था और घटना के समय कौन कौन वहां मौजूद था इसकी जानकारी पुलिस प्रशासन को नहीं थी, जिसके चलते लंबे समय तक मलबे को हटाकर लोगों की तलाश की जाती रही। हालात यह बने कि घटना के दो घंटे बाद तक मलवे में दबे लोगों को बाहर निकालकर जिला अस्पताल भेजा जाता रहा। वहीं जो एक शव जिसके अंग पुलिस को पूरी तरह से बरामद नहीं हुए थे, उसके अंग भी मलबे में अलग अलग स्थानों से मिलते रहे। लगभग तीन घंटे से अधिक तक मलबे में तलाशी अभियान के बाद यह माना गया कि अब मलबे के नीचे कोई नहीं है जिसके बाद सर्च अभियान समाप्त किया गया।
तीन मौतों की पुष्टी
सामने आए आधिकारिक आंकड़े में जिन लोगों की मौत की पुष्टी की गई है उसमें रिंकी पति लक्ष्मण कोरी ३० वर्ष, अपूर्वा पिता कैलाश खटीक १९ वर्ष सहित एक अन्य पुरुष की मौत शामिल है उक्त व्यक्ति को फैक्ट्री का संचालक अभय उर्फ छुट्टन गुप्ता निवासी फुटेरा वार्ड दमोह माना जा रहा है। इसके अलावा उमा पिता परसोत्तम कोरी २२ वर्ष निवासी बजरिया वार्ड २, रचना पति कमला प्रसाद अहिरवाल ५० वर्ष निवासी फुटेरा वार्ड २, पुष्पा पति खेमचंद चक्रवर्ती ३० वर्ष निवासी नया बाजार २, रामकली पति भागचंद कोष्टी ४७ वर्ष गरडय़ाउ, हेमलता पति दिलीप चक्रवर्ती ५० निवासी गरडय़ाउ, विमला पति घनश्याम प्रजापती ४० वर्ष निवासी गरडय़ाउ, सुशीला पति सुखचैन चक्रवर्ती ३९ वर्ष निवासी गरडय़ाउ, नेहा पति दुर्गा अहिरवाल ४७ वर्ष निवासी फुटेरा वार्ड २, विनीता पति चंद्रभान ५५ वर्ष निवासी मारूताल, मोहिनी पति मुरली रैकवार ३५ वर्ष निवासी बड़ापुरा शामिल है।
छत और दीवारे हुई गायब
विस्फोट की तीव्रता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि अवैध फैक्ट्री की पत्थर और उस पर क्रांक्रीट डालकर बनाई गई क्षत व पक्की दीवारे धरासायी हो गई। घटना स्थल पर बड़ी संख्या में सुतली बम सहित फटाखा निर्माण से जुड़ी सामग्री पड़ी हुई थी। वहीं घटना के बाद पुलिस संबंधित मृत व्यापारी के अन्य स्थलों पर भी तलाशी लेकर यह स्पष्ट करती रही कि कहीं विस्फोटक पदार्थों को अन्य स्थानों पर भी तो एकत्रित करके नहीं रखा गया है, लेकिन फिलहाल किसी भी अन्य स्थान पर ऐसी स्थिति सामने नहीं आई है।
हर स्तर पर सामने आई लापरवाही
इस घटना के बाद पुलिस प्रशासन ही नहीं आमजन के स्तर के रवैये को लेकर भी एक बड़ी लापरवाही और उदासीनता सामने आई है। दरअसल उक्त फैक्ट्री कई वर्षों से वहां संचालित होने की जानकारी सामने आई है और फटाखा निर्माण से जुड़ा सामान छतों पर भी रखा जाता था और उसी स्थान से ही फटाखों को लोड करके अन्य स्थानों से भेजा जाता था। इन सब स्थितियों के बाद भी ना तो पुलिस प्रशासन को इसकी जानकारी हुई ना कोई कार्यवाही सामने आई और साथ ही साथ स्थानीय लोगों द्वारा भी इस गंभीर स्थिति के बाद भी पुलिस प्रशासन को इसकी सूचना नहीं दी गई और जब स्थिति सामने आई तो वह एक बड़े हादसे को जन्म दे चुकी थी।
कमिश्नर आईजी एवं डीआईजी ने किया निरीक्षण
वहीं घटना की गंभीरता को देखते हुए देर शाम सागर कमिश्नर डॉ. वीरेंद्र सिंह रावत, आईजी प्रमोद वर्मा और डीआईजी सुनील जैन दमोह पहुंचे और जिला अस्पताल पहुंचकर घायलों का हाल जाना और चिकित्सकों से चर्चा करते हुए चिकित्सा अधिकारियों को बेहतर उपचार के निर्देश दिये। इसके बाद उनके द्वारा घटनास्थल का जायजा लिया। इस दौरान कलेक्टर मयंक अग्रवाल, पुलिस अधीक्षक सुनील तिवारी सहित अन्य पुलिस ऑफीसर मौजूद रहे।
सागर से आएगी इलाज के लिए टीम
वहीं मामले में कार्यवाही को लेकर कमिश्नर डॉ. रावत ने कहा घायलों के इलाज हेतु सागर मेडीकल टीम को बुलाया है, डॉक्टर ने चार लोगों को रैफर कर दिया है और अब मामले को लेकर एसडीएम की अध्यक्षता में अनुकूल कार्यवाही होगी। इनकी मदद आरबीसी- 4 के तहत जो प्रावधान है, उसके तहत पूरी मदद करेंगे और मरीजों के इलाज में किसी प्रकार की लापरवाही नहीं होगी। आईजी श्री वर्मा ने कहा की रैफर किए गए घायलों को एक ग्रीन कॉरीडोर के माध्यम से अस्पताल तक पहुंचाया जा रहा है। इसके अलावा पुलिस की ओर से जो आगजनी की इंसीडेट रिपोर्ट दर्ज की गई है और इसमें आगे की जांच के लिये टीम मौके पर है, उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर आगे की कार्यवाही की जायेगी। इसमें प्रथम दृष्टया 304 आईपीसी का केस पंजीबद्ध होगा ही, जो आगे की जांच का विषय है। जल्दी ही यह पता चल जायेगा की यह विस्फोट या आग किस कारण से लगी है।मामले को लेकर कलेक्टर मयंक अग्रवाल ने मजिस्ट्रेटियल जांच के आदेश दे दिए है और मामले में जिसकी भी लापरवाही पाई जाएगी उस पर कार्यवाही की बात कही है।
वहीं घटना के बाद जनप्रतिनिधियों ने भी इस पर संवेदनाए जताई है। जहां मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ट्वीट करते हुए घटना के पीडि़तों के प्रति संवेदनाए ज्ञापित की है। इसके अलावा भाजपा के जंयत मलैया और कांग्रेस के अजय टंडन ने भी मौके पर पहुंचकर स्थितियों को जाना और पीडि़तो के प्रति संवेदनाए व्यक्त करते हुए उन्हें मुआवजे की मांग की।