मामले में 2 एफआईआर में 4 बनाए गए आरोपी,आरोपियों के घरों पर बुलडोजर कार्यवाही पर हो रहा विचार
दमोह। देहात थाना क्षेत्र के ग्राम बांसा में सोमवार को सामने आए तिहरे हत्याकांड और मंगलवार को परिजनों के प्रदर्शन के बाद पुलिस लगातार मामले में कार्यवाही कर रही है और पुलिस ने मामले में 2 एफआईआर दर्ज करते हुए प्रारंभिक रूप से बनाए गए 4 आरोपियों में से 3 आरोपियों को गिरफ्तार करने में भी सफलता प्राप्त की है। आरोपियों को पूछताछ के बाद न्यायालय में पेश किया जाएगा जहां से आरोपियों की डिमांड पुलिस मैन सकती है चौथे आरोपी की तलाश थी पुलिस लगातार कर रही है।
मामले के संबंध में पुलिस अधीक्षक श्रुतकीर्ति सोमवंशी ने जानकारी देते हुए बताया कि 24 जून को सामने आई इस घटना में फरियादी राहुल विश्वकर्मा द्वारा रिपोर्ट लेख कराई कि उसके मामा रमेश का पुत्र उमेश विश्वकर्मा एवं ममेरे भाई विकास विश्वकर्मा को आरोपी गोलू उर्फ विजय विश्वकर्मा, राजाबाबू विश्वकर्मा, सजल विश्वकर्मा एवं अन्य व्यक्तियों के द्वारा पिस्टल से गोली मारकर दोनों की हत्या कर दी व फरार हो गये। देहात थाना मेंमें अपराध धारा 307, 302, 341, 34 ताहि एवं 25/27 आर्म्स एक्ट का प्रकरण पंजीबद्ध किया और फरियादी रवि विश्वकर्मा पिता रास गोपाल विश्वकर्मा 54 साल की रिपोर्ट कि उसके भाई रमेश विश्वकर्मा को आरोपी सजल विश्वकर्मा, राजा विश्वकर्मा, राजेन्द्र विश्वकर्मा एवं अन्य के द्वारा तलवार से गले व हाथ में कई वार कर एवं गोली मार कर हत्या करते हुए फरार हो है। जिस पर भी पुलिस दमोह देहात में धारा 307, 302, 341, 34 आईपीसी एवं 25/27 आर्म्स एक्ट का प्रकरण पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया।
तीन हुए गिरफ्तार
दोनों मामलों में पुलिस ने चार लोगों राजाबाबू पिता लखन विश्वकर्मा 28 साल निवासी बांसा तारखेड़ा, गोलू, विजय विश्वकर्मा पिता नंद किशोर 43 वर्ष निवासी बांसा तारखेड़ा, राजेन्द्र पिता रामलाल विश्वकर्मा 56 साल निवासी बांसा तारखेड़ा व सजल पिता लखनलाल विश्वकर्मा 22 साल निवासी बांसा तारखेड़ा को आरोपी बनाते हुए पुलिस की टीम गठित कर उनकी पतासाजी में लगाई थी।
पुलिस अधीक्षक श्रुतकीर्ति सोमवंशी के निर्देशन अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक संदीप मिश्रा के नेतृत्व में टीमों का नगर पुलिस अधीक्षक दमोह अभिषेक तिवारी, देहात थाना प्रभारी रविन्द सिंह बागरी एवं कोतवाली थाना प्रभारी आनंद सिंह के द्वारा गठित टीम आरोपियों के मिलने के संभावित स्थानो पर रवाना किया गया। मुखबिर की सूचना एवं तकनीकी साक्ष्य व सायबर सेल टीम की मदद से आरोपियों में से तीन आरोपी राजाबाबू,विजय और राजेंद्र को गिरफ्तार कर लिया और चौथे आरोपी की तलाश अभी भी जारी है। पुलिस द्वारा आरोपियों से पूछताछ की जा रही है और पूछताछ व जांच में जो भी तथ्य निकाल कर सामने आएंगे उसके आधार पर और भी आरोपियों के नाम एफआईआर में शामिल किए जाएंगे।
अभी भी कई गुत्थियां अनसुलझी
पुलिस द्वारा आरोपियों की गिरफ्तारी उपरांत उनसे पूछताछ की जा रही है लेकिन मामले में अभी भी कई अनसुलझे पहलु बाकी है l जहां एक और इस मामले में शहर के चर्चित कॉलोनाइजर रॉकी सुरेखा का नाम सामने आया है, लेकिन फिलहाल पुलिस अभी तक कोई ठोस सबूत इस ओर न होने की बात कह रही है। जहां परिजनों द्वारा संबंधित कॉलोनाइजर द्वारा आरोपियों को हथियार मुहैया कराए जाने के आरोप लगाए थे, लेकिन पुलिस यह स्पष्ट नहीं कर सकी है कि आरोपियों के पास हत्या में प्रयुक्त किए गए हथियार कहां से आए थे। दूसरी ओर घटना के दौरान आरोपियों द्वारा प्रयुक्त की की गई बुलेट बाइक को भी संबंधित कॉलोनाइजर का बताया जा रहा है, लेकिन पुलिस अभी भी उक्त बुलेट के मालिक का पता नहीं लगा सकी है। इसके अलावा मौके की सीसीटीवी फुटेज, मौके पर मिला एक कट्टा, आरोपियों के भागने की जगह , उन्हें छिपने में मदद करने वाले लोग, घटना के पूर्व और बाद में वह किसके संपर्क में रहे सहित कई ऐसे महत्वपूर्ण बिंदु है जो फिलहाल अनसुलझे हैं। माना जा रहा है कि पुलिस जांच के बाद उपरोक्त बिंदुओं के आधार पर संबंधित कॉलोनाइजर भी मामले में आरोपी बनाए जा सकते हैं। सूत्र बताते हैं की पुलिस द्वारा कॉलोनाइजर से कुछ बिंदुओं पर पूछताछ भी की गई है।
32 राउंड से अधिक फायर
दिनदहाड़े जिस तरह से आरोपियों द्वारा तीन हत्याएं की गई उससे यह प्रतीत हो रहा है कि आरोपी इससे भी बड़ी घटना को अंजाम देने के फिराक में थे। पुलिस की माने तो आरोपियों द्वारा 32 राउंड से अधिक फायर पिस्टल से किए गए थे, जिसकी पुष्टि भी मौके पर मिले चले हुए कारतूस, बगैर चले करतूस सहित फायर के निशान से हो रही है। यदि पीड़ित परिवार के दूसरे लोग भागने में सफल नहीं होते तो हो सकता था की और भी कई हत्याएं आरोपियों द्वारा कर दी जाती।
पुलिस समझाइस नहीं आई काम
पुलिस अधीक्षक ने यह भी स्पष्ट किया की घटना की जो वजह निकलकर सामने आ रही है, वह एक माह पूर्व बछड़े पर गाड़ी चलाने को लेकर हुआ विवाद ही है और कोई भी जमीनी विवाद दोनों पक्षों के बीच होना सामने नहीं आया है। एक माह पूर्व हुए विवाद में दोनों पक्षों की एफआईआर और पुलिस प्रशासन को दिए गए आवेदन के बाद दोनों पक्षों पर निषेधात्मक कार्यवाही की गई थी और दोनों पक्षों के आरोपों को लेकर उनको समझाइस और सुलह कराए जाने के प्रयास भी किए जा रहे थे। आरोपी और पीड़ित पक्ष एक ही समाज और परिवार के थे और उनका कोई भी पुराना क्रिमिनल रिकॉर्ड भी नहीं था जिसके चलते पुलिस होने वाली घटना का अंदेशा नहीं लगा सकी बताया यह भी जा रहा है कि घटना में मृत होमगार्ड सैनिक द्वारा सलाह का प्रयास किया जा रहा था और उसके लिए दोनो पक्षों के कुछ लोगों के बीच बात भी हुई लेकिन उसके पहले ही आरोपियों ने बड़ी घटना को अंजाम देने का मन बना लिया था।
कैसे हुई पिस्टल की उपलब्धता
मामले में जो सबसे महत्वपूर्ण पहलू है वह, आरोपियों के पास हथियारों की उपलब्धता को लेकर है। पुलिस भी यह स्वीकार कर रही है की घटना में प्रयुक्त हथियार सामान्य नहीं थे जिसके चलते ही आरोपी इतनी ज्यादा राउंड फायर कर सके। उल्लेखनीय है कि कुछ समय पूर्व कोतवाली थाना क्षेत्र में भी कलू रैकवार नामक व्यक्ति की इसी तरह दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी गई थी, जिसमें भी आरोपियों के पास इसी तरह के हथियार होना सामने आया था। ऐसे में अब यह जांच का विषय है कि आखिरकार आरोपियों के पास इस तरह की हथियार कहां से और कौन मुहैया करा रहा है।