प्रधान आरक्षक पाए गए रिश्वत के दोषी, 4 वर्ष की हुई सजा

मामले में धाराएं कम करने की थी रिश्वत की मांग

दमोह। न्यायालय विशेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम दमोह संतोष कुमार गुप्‍ता ने वर्ष 2017 के एक मामले में रिश्वत लेने के आरोपी चंद्रिका प्रसाद मुड़ा (तत्‍कालीन प्रधान आरक्षक थाना नोहटा) को दोषी पाते हुए भ्रष्‍टाचार निवारण अधिनियम 1988 (संशोधन -2018 ) की धारा 07, धारा 13(1)बी सहपठित धारा 13(2)में दो‍षसिद्ध करते हुए 04 वर्ष का सश्रम कारावास व 1000 रूपये अर्थदण्‍ड से दण्डित किया गया।

अभियोजन की ओर से पैरवी करने वाले विशेष लोक अभियोजक अनंत सिंह ठाकुर ने बताया कि 30 सितंबर 2017 को आवेदक लल्लू सिंह ने पुलिस अधीक्षक लोकायुक्त सागर से शिकायत किया था कि, उसके व उसके परिजनों के विरूद्ध थाना नोहटा में एस.सी./एस.टी. एक्ट के तहत रिपोर्ट लिखवाई थी, जिसके लिए थाना नोहटा के प्रधान आरक्षक चंद्रिका प्रसाद मुंडा ने दिनांक फोन करके आवेदक को थाना नोहटा बुलाया था, प्रकरण में पंजीबद्ध अपराध में धाराएं कम करने, गिरफ्तारी न करने व जल्दी चालान पेश करवाने के लिए 50 हजार रूपये रिश्वत की मांग की जा रही है। आवेदक रिश्वत नहीं देना चाहता था, बल्कि उसे रंगे हाथों पकड़वाना चाहता था। आवेदक द्वारा की गई शिकायत की तस्‍दीक पश्चात ट्रेप का आयोजन किया गया. आवेदक द्वारा अनावेदक से संपर्क कर रिश्वत मांग संबंधी बातचीत को रिकार्ड किया गया. मांगवार्ता के दौरान अनावेदक आवेदक से 30,000 रूपये लेने को सहमत हो गया तथा 23000 रूपये उसी समय ले लिये गये शेष 7,000 रूपये और लाने के लिए बोला गया। एवं ट्रेप के दौरान आरोपी चंद्रिका प्रसाद मुडा से रिश्वत राशि 7000 रूपया बरामद की गई विवेचना में संकलित भौतिक, मौखिक व इलेक्ट्रानिक अभिलेखीय साक्ष्य के आधार पर आरोपी के विरूद्ध अभियोग पत्र माननीय न्यायालय पेश किया गया जहां अभियोजन द्वारा दस्तावेजी साक्ष्य एवं मौखिक साक्ष्य व प्रस्तुत तर्को से सहमत होकर माननीय न्यायालय द्वारा उक्त सजा सुनाई गई।

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